मप्र उपचुनाव पर राजनीतिक पंडितों का मानना- खंडवा लोकसभा सीट बरकरार रखेगी भाजपा
3 विधानसभा सीटों में थे 1-1 पर भाजपा – कांग्रेस, एक सीट पर होगा बहुत कम मतों से फैसला
ब्रह्मास्त्र इंदौर। मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीट जोबट, पृथ्वीपुर और रैगांव पर चुनाव परिणाम 2 नवंबर को आएगा। इन चारों सीटों पर संभावित नतीजे क्या होंगे? इसे लेकर राजनीतिक पंडितों ने अपने अपने हिसाब से गुणा भाग लगाना शुरू कर दिया है। कुछ सर्वे भी आए हैं, जिनके अनुसार मालवा- निमाड़ में तो भाजपा का ही डंका बजेगा यानी खंडवा लोकसभा सीट और अलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा सीट पर कमल खिल सकता है। वहीं, पृथ्वीपुर और रैगांव को लेकर जरूर कांग्रेस के पक्ष में माहौल दिखाई दे रहा है, हालांकि भाजपा ने इन दोनों सीटों पर कब्जा करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इसलिए यह भी माना जा रहा है कि इनमें से कोई एक सीट भाजपा को बहुत कम अंतर से मिल सकती है। हालांकि कुछ का मानना यही है कि इन 2 सीटों पर भी गिरते पड़ते ही सही लेकिन कांग्रेस जीत जाएगी। इसके मुताबिक खंडवा लोकसभा सीट भाजपा बरकरार रख सकती है। वहीं, विधानसभा की तीन सीटों में से दो कांग्रेस और एक भाजपा के खाते में जा सकती है।
खंडवा में खिलेगा कमल
भाजपा ने खंडवा लोकससभा सीट पर 25 साल बाद ओबीसी उम्मीदवार ज्ञानेश्वर पाटिल को मैदान में उतारा। इसका उसे फायदा मिलता दिख रहा है। कांग्रेस ने खंडवा लोकल से राजनारायण सिंह पुरनी को मैदान में उतार कर दांव खेला, लेकिन यह ज्यादा कारगर होता दिखाई नहीं दिया।
यहां मतदाताओं ने प्रत्याशी की बजाय पार्टी को वोट दिया है। हालांकि बुरहानपुर में कांग्रेस के पक्ष में मतदान ज्यादा होने के आसार हैं, लेकिन शेष 6 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ मजबूत दिखाई दी। बड़वाह में कांग्रेस विधायक सचिन बिरला को अपने पाले में लाकर भाजपा ने गुर्जर वोटर्स को साधने का बड़ा दांव खेला।
कांग्रेस ने सचिन पायलट की सभा कराकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन इसका मतदाताओं पर ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा। मतदान का प्रतिशत देखें, तो 2019 की तुलना में 14 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। इसका फायदा भाजपा को मिलेगा, ऐसा चुनावी पंडितों का मानना है। यह सीट भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से खाली हुई थी।
कांग्रेस के हाथ से जाएगी जोबट सीट!
जोबट चुनाव में शुरू से ही एक-दूसरे की व्यक्तिगत छवि को डैमेज कर चुनाव पलटने की कोशिश चलती रही। कांग्रेस प्रचार के अंतिम दौर में भी जनता के मुख्य मुद्दों से ज्यादा सुलोचना को बागी बताकर उनकी व्यक्तिगत छवि पर वार करती रही, लेकिन उसे इसका फायदा मिलता दिखाई नहीं दिया। कांग्रेस इस सीट को गंवाती हुई दिख रही है। दूसरी तरफ भाजपा ने कांग्रेस उम्मीदवार महेश पटेल और उनके परिवार की दबंग छवि का प्रचार किया। यहां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का फोकस ज्यादा रहा। सीएम शिवराज ने भी झाबुआ में 5 अक्टूबर को आदिवासी सम्मेलन कर ताकत दिखाने का प्रयास किया था। जोबट सीट पर 2018 में कांग्रेस जीती थी। यह सीट कलावती भूरिया के निधन से खाली हुई थी।
रैगांव में असमंजस
रैगांव में बसपा के परंपरागत वोटर्स को साधने में सफल होते दिख रही कांग्रेस
बीते 31 वर्षों से रैगांव में कांग्रेस की जीत का सूखा इस बार खत्म हो सकता है। कांग्रेस के आशान्वित होने की बड़ी वजह उप चुनाव के मैदान में बसपा की गैर मौजूदगी भी है। हालांकि यहां भाजपा के फिर से जीत के दावे भी किए जा रहे हैं। रैगांव सीट भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन की वजह से रिक्त हुई थी।
पृथ्वीपुर में कांग्रेस!
पृथ्वीपुर में दलित वोट बैंक को साधने से कांग्रेस को बढ़त मिल सकती है।
भाजपा ने इस सीट को कांग्रेस से छीनने के लिए ताकत झोंक दी थी। शिवराज सिंह चौहान की सबसे ज्यादा 8 सभाएं भी पृथ्वीपुर में हुई। इस सीट पर भाजपा ने सपा से आए शिशुपाल सिंह यादव पर दांव खेला। इस सीट पर जातीय समीकरण ही जीत-हार का फैसला करते दिखाई दे रहे हैं और इस समीकरण में बाजी कांग्रेस के हाथ में जाती नजर आ रही है। यह सीट कांग्रेस विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन खाली हुई।