शाही सवारी मार्ग दुल्हन की तरह सजाया

कल सोमवार को महाकाल की शाही सवारी निकलेगी। भगवान महाकाल के स्वागत के लिए शहर यानी पूर्ण शाही सवारी मार्ग दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए जा रहे हैं तो ध्वज लगाए जा रहे हैं। रात में जगमगाहट केलिए रंगीन रोशनी भी की जा रही है। वहीं प्रशासन भी सवारी में सुरक्षा से लेकर तमाम इंतजामों में जुटा हुआ है।  मार्ग में भीड़ प्रबंधन के लिए बेरिकेट्स लगाए जा रहे हैं तो सुरक्षा के लिए सीसी कैमरे आदि लगा रहे हैं। वर्ष में एक बार श्रावण मास के बाद भादौ में भगवान महाकाल की उज्जैन में शाही सवारी निकलती है। वह दिन कल सोमवार को रहेगा। शाही सवारी को देखने के लिए हजारों, लाखों की संख्यां में लोग उज्जैन में उमड़ते हैं। इस बार श्रावण का अधिकमास होने से दो श्रावण की कुल 8 सवारियां निकली। दो सवारी भादौ की थी। इसमें से एक सवारी निकल चुकी है और यह भादौ की दूसरी व श्रावण-भादौ मास के क्रम में 10 वीं अंतिम शाही सवारी रहेगी।   7 किलो मीटर लंबे मार्ग से निकलेगी, 100 मंच बनेंगे  महाकाल की सभी सवारियां छोटे रूट से निकाली जाती है। लेकिन शाही सवारी का रूट शाही यानी लंबा होता है। यह सवारी महाकाल मंदिर से शुरू होकर गुदरी, कहारवाड़ी होकर शिप्रातट रामघाट जाती है। यहां पूजन के बाद रामानुजकोट, गणगौर दरवाजा, कार्तिकचौक, ढाबारोड, टंकी चौक, तेलीवाड़ा, कंठाल, सराफा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए वापस गुदरी चौराहा से रात में महाकाल मंदिर पहुंचकर समाप्त होती है। यह पूरा मार्ग करीब 7 किलो मीटर लंबा है। इस पूरे मार्ग पर 100 से अधिक मंच स्वागत के लिए बनाए जाते हैं। बाहर से बुलाया सुरक्षा बलदोपहर में यातायात डायवर्ट जिला व पुलिस प्रशासन शाही सवारी को लेकर सभी तरह के इंतजाम कर रहा है। मार्ग में सुरक्षा व्यवस्था के लिए अन्य शहरों से भी पुलिस बल बुलवाया गया है। सोमवार को सवारी निकलने के पूर्व दोपहर में ही यातायात डायवर्ट कर दिया जाएगा। महाकाल मंदिर में दोपहर 3.30 बजे से सभा मंडप में शाही सवारी का पूजन हो गा व शाम 4 बजे से सवारी शुरू हो जाएगी। रात करीब 10 बजे सवारी समाप्त होगी।