पहली बार 1987 में बाबा महाकाल की सवारी में शामिल हुए, तब न इतनी भीड़ थी, न पुलिस व्यवस्था

उज्जैन ।  भूतभावन बाबा महाकाल की सभी सवारी में पिछले 36 वर्षों से सेवा देने वाले बाबा महाकाल के अनन्य भक्त मिलिंद पन्हालकर आज 11 सितंबर सोमवार को भी शाही सवारी में अपनी सेवा देंगे।
मिलिंद पन्हालकर ने बताया कि वे उस समय से बाबा महाकाल की सवारी में सेवा दे रहे हैं जब न इतनी भीड़ हुआ करती थी न उन्हें संभालने के लिए इतनी पुलिस व्यवस्था, आज लाखों श्रध्दालुओं की आस्था के प्रतीक बने बाबा महाकाल की 36 वर्षों से सतत सेवा देने में वे खुद को भाग्यशाली मानते हैं। आज बाबा महाकाल की शाही सवारी निकलेगी जिसमें लाखों श्रध्दालु बाबा महाकाल के दर्शन करेंगे तथा सैकड़ों भक्त बाबा महाकाल तथा श्रध्दालुओं की सेवा करेंगे। ऐसे ही बाबा महाकाल के एक भक्त हैं मिलिंद पन्हालकर जो पिछले 36 वर्षों से बाबा की प्रत्येक सवारी में शामिल होकर हर सवारी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मिलिंद पन्हालकर के अनुसार पहली बार 1987 में बाबा महाकाल की सवारी में शामिल हुए थे। तब से अब तक वे 36 साल में बाबा महाकाल की प्रत्येक सवारी में न सिर्फ शामिल हुए बल्कि अपनी सेवाएं दी। पन्हालकर मूल रूप से इंदौर के निवासी थे शासकीय सेवा में उज्जैन में पदस्थापना हुई लेकिन बाबा महाकाल में आस्था के कारण वे उज्जैन में ही बस गए। पन्हालकर के कुल देवता मंगेश (गोवा) हैं जो भगवान शंकर का रूप हैं। उनका बाबा महाकाल से इतना लगाव है कि जब से बाबा महाकाल की आराधना के लिए होने वाला श्रावण महोत्सव प्रारंभ हुआ है उन्होंने एक भी प्रस्तुति नहीं छोड़ी, वे हर रविवार को होने वाली प्रस्तुति में शामिल हुए।