बावड़ी हादसे की गवाह वृंदावन वाटिका उजाड़, दो करोड़ रुपये से हुआ था विकास

इंदौर ।  यह कहानी है 36 मौतों के गवाह बनी उस वृंदावन वाटिका की, जिसकी सुंदरता निहारने के लिए किसी समय लोग दूर-दूर से आते थे। हर शाम इस उद्यान में बच्चों का मेला लगता था। अठखेलियां करते बच्चे यहां धमाचौकड़ी मचाया करते थे। सुबह के समय आसपास की कालोनियों के बुजुर्ग यहां आकर आपस में सुख-दुख साझा करते थे।
30 मार्च 2023 को हुए बावड़ी हादसे के बाद यह उद्यान उजाड़ पड़ा है। यहां हरियाली तो है, लेकिन पहले की तरह रौनक नहीं। रखरखाव के अभाव में उद्यान दम तोड़ने लगा है। बावड़ी हादसे के अवशेष अब भी जहां-तहां पड़े हैं। जगह-जगह मलबा पड़ा है। रखरखाव के अभाव में उद्यान में लगे मनोरंजन के उपकरण खराब हो रहे हैं। करीब चार वर्ष पहले केंद्र सरकार की योजना के तहत इस उद्यान को आदर्श उद्यान के रूप में विकसित करने का काम शुरू हुआ था। विकास पर दो करोड़ रुपये खर्च भी हुए थे, लेकिन बावड़ी हादसे के बाद इस उद्यान के बुरे दिन शुरू हो गए।
हम बात कर रहे हैं स्नेह नगर स्थित वृंदावन वाटिका की। इसके उद्धार के लिए केंद्र सरकार ने चार वर्ष पहले अमृत प्लस योजना के तहत दो करोड़ रुपये दिए थे। योजना के तहत यहां बच्चों के मनोरंजन के लिए उपकरण तो लगे हैं लेकिन ज्यादातर खराब पड़े हैं। सवाल यह है कि बावड़ी हादसे को छह माह होने को आए हैं। रखरखाव का काम अब तक शुरू क्यों नहीं किया गया।
उद्यान में हरियाली विकसित करने के साथ-साथ यहां बच्चों और बड़ों के व्यायाम की सुविधा के हिसाब से कई उपकरण लगाए गए थे। इनमें से कुछ खराब हो गए, तो कुछ टूटे-फूटे पड़े हैं। रहवासियों का कहना है कि निगम की तरफ से कोई कर्मचारी तक उद्यान के रखरखाव के लिए नहीं आता। बावड़ी हादसे के बाद यहां बने अवैध निर्माण को तोड़ने के दौरान उद्यान की एक तरफ की दीवार गिर गई थी। निगम इसे तक नहीं बनवा रहा।