मंदसौर : राष्ट्रमंडल और जनकल्याण ब्राह्मण का मूल लक्ष्य हैब्रह्म समागम के वृहद आयोजन में 21 सूत्रीय प्रस्ताव पारित
मंदसौर । राष्ट्रीय परशुराम सेना की प्रदेश इकाई के द्वारा स्थानीय कृषि उपज मंडी प्रांगण में ब्राह्मण समागम का वृहद आयोजन किया गया। जिसमें ब्रह्म समागम में 21 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किए गए जिन्हें मांग पत्र के रूप में शासन तथा व्यवस्थाओं के प्रमुख घटकों तक पहुंचाया जाएगा।
ब्रह्म समागम को संबोधित करते हुए स्वामी श्री निर्मल चैतन्यजी महाराज ने कहा कि ब्राह्मण वैदिक परंपरा के वृक्ष होते हैं वेद पुराण उनकी शाखाएं हैं। गाय और ब्राह्मण को वैदिक परंपरा में सर्वोच्च स्थान दिया गया है हमें अपने अंदर के ब्राह्मणत्व को जागृत करते हुए ब्रह्मकर्म के साथ अपने ब्रह्ममोचित नियमों का पालन करना चाहिए तभी हमारा प्रभाव संपूर्ण समाज पर पड़ेगा। स्वामी श्री राजेंद्रपुरीजी महाराज ने कहा कि सृष्टि का मूल वेद है और वेद ब्राह्मण के अधीन है। संपूर्ण ब्रह्मांड के नियामक वेदों की रचना ब्राह्मणों के द्वारा ही की गई है। समाज और राष्ट्र कल्याण ही ब्राह्मण का प्रथम कर्म है। पं. मिथिलेश नागर ने कहा कि ब्राह्मणों ने ही पूरे विश्व को दिशा दर्शन दिया है। मंदसौर में ब्राह्मण समागम का यह आयोजन ब्राह्मण के साथ-साथ ब्राह्मणत्व के भी भाव को जागृत करें यह सभी की आकांक्षाएं हैं। पं. दशरथ भाई शर्मा ने कहा कि ब्राह्मण यदि अपने ब्रह्म कर्म का पालन पूरे समर्पित भाव से और नियमानुसार करें तो ब्राह्मण का कभी भी पतन नहीं हो सकता। डॉ. देवेंद्र शास्त्री ने कहा कि ब्राह्मण जाग गया है।
पं. नितिन राजोरा ने 21 सूत्रीय प्रस्तावों का वाचन किया जिनमें मुख्य रूप से ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का गठन कर उसका अध्यक्ष ब्राह्मण समाज के ही किसी व्यक्ति को बनाया जाए। समस्त ब्राह्मण व हिंदू धमार्चार्य संत व कथावाचकों के लिए अमर्यादित भाषा के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले व्यक्ति व वर्ग विशेष पर कठोरता से कार्यवाही व सजा का प्रावधान किया जाए।एट्रोसिटी एक्ट के तहत बिना जांच के प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं लिखी जाए और ना ही गिरफ्तारी की जाए। प्रमोशन में आरक्षण बंद किया जाए। आरक्षण का आधार आर्थिक हो एक परिवार को केवल एक ही बार आरक्षण का लाभ मिले। स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा क्षेत्र में संस्कृत भाषा सहित भारत की गौरवशाली इतिहास को प्राथमिकता से जोड़ा जाए। मंदिरों को शासन के अधिग्रहण से मुक्त किया जाए,मंदिरों की भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई जाए उनकी नीलामी पर रोक लगे।प्रत्येक जिले में ब्राह्मण समाज के छात्रावास व धर्मशाला के लिए भूमि आवंटित की जाए। मंदिर में पुजारी का न्यूनतम मानदेय शासन द्वारा तय किया जाए। राजनीतिक दल ब्राह्मणों को अवसर व महत्व प्रदान करें। भगवान परशुराम जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए ये प्रमुख प्रस्ताव प्रमुख थे।
ब्रह्म समागम में पूज्य आचार्य श्री भागवत ऋषि, पं. शिवकरण प्रधान, पं.राजेश शर्मा, प. गौरी शंकर शर्मा, पं. पंकज जलारा,हरीश कटवार पं. विष्णु ज्ञानी भी मंचासीन थे। स्वागत उदबोधन प्रदेश परशुराम सेवा के अध्यक्ष पं. जितेंद्र व्यास ने दिया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार पं. ब्रजेश जोशी व डॉ.क्षितिज पुरोहित ने किया आभार परशुराम सेना के जिलाध्यक्ष श्रीकांत शर्मा ने माना।