नई तकनीकों से ठीक हो रहे कैंसर के मरीज, मिल रहा नया जीवन
इंदौर । कैंसर को अब तक लाइलाज बीमारी माना जाता रहा है। इसका कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज तो शारीरिक और मानसिक पीड़ा से गुजरता ही है, उसके स्वजन भी मानसिक यंत्रणा झेलने को मजबूर रहते हैं। लेकिन अब कुछ ऐसी तकनीकें आ गई हैं, जिनसे कैंसर के मरीजों के ठीक होने की उम्मीद जागी है। इन तकनीकों का इस्तेमाल करके कैंसर मरीजों को नया जीवन देना आसान हो गया है। उम्मीद की किरण जगाने वाली यह बात इंदौर में आयोजित 49वीं नेशनल आइकान कांफ्रेंस के समापन पर देश-विदेश के विशेषज्ञों ने कही।
कांफ्रेंस के को-आर्डिनेटर डा. एसपी श्रीवास्तव ने अलग-अलग प्रकार के कैंसरों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कैंसर रोग में परंपरागत इलाज के बजाय नई थेरेपी अत्यंत कारगर साबित हो रही है। नई तकनीक जैसे इम्यूनोथेरेपी, टारगेट थेरेपी और हार्मोन थेरेपी से कैंसर के मरीजों के ठीक होने की संभावना बढ़ी है। उन्होंने कहा कि परंपरागत इलाज के साथ इस तरह की थेरेपी देने से कैंसर मरीजों में अप्रत्याशित रूप से फायदा होता देखा गया है। साथ ही जिन मरीजों को एडवांस स्टेज और मेटास्टिक स्टेज का कैंसर है, वह भी लंबे समय तक इन तकनीकों से आसानी से इलाज करवा सकते हैं।
आने वाला समय इम्यूनोथेरेपी या टारगेट थेरेपी का : ब्रेस्ट कैंसर पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि पहले हम स्टेज फोर में कीमोथेरेपी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज हार्मोन थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मरीज के ठीक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। आने वाला समय इम्यूनोथेरेपी या टारगेट थेरेपी का है, न कि पुरानी पद्धति का है।
अमीनो थेरेपी नया और सटीक विकल्प : कांफ्रेंस में आए देश के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. बी. अग्रवाल ने बताया कि ब्लड कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी की तुलना में अमीनो थेरेपी एक नया और सटीक इलाज उपलब्ध है। इससे ब्लड कैंसर के ठीक होने की संभावनाएं अधिक हो गई हैं। डा. एसपी श्रीवास्तव ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर में जहां कीमोथेरेपी से ठीक होने की संभावनाएं काफी कम हैं वहीं टारगेट थेरेपी और अमीनो थेरेपी से फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है। इस थेरेपी के बाद एडवांस स्टेज में भी मरीज की आयु पांच से छह साल तक बढ़ गई है। यह नई उपलब्धि है जो इंदौर में भी कम खर्च में उपलब्ध है।