हिंदी है राष्ट्रीय एकता की सच्ची परिभाषा
भाषा सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम रही है। कालांतर में समय और परिस्थितियों के अनुरूप भाषा का स्वरूप निरंतर बदलता रहा है। वैसे तो पूरे विश्व में अनेक भाषाओं का प्रयोग होता है, लेकिन एक सशक्त और प्रचलित भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की सम्भवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, जो हमारे पारम्परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु भी है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है। हालांकि दक्षिण भारत में इसकी स्वीकार्यता अपेक्षाकृत काफी कम है, लेकिन हिंदी फिल्मों की निरंतर लोकप्रियता की बदौलत अब दक्षिण भारत में भी हिंदी को अपनाया जाने लगा है।
यह एक सामाजिक विडम्बना है कि देश में तकनीकी एवं आर्थिक समृद्धि और नई पीढ़ी द्वारा पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण की बदौलत अंग्रेज़ी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिन्दी देश की राजभाषा होने के बावजूद आज हर जगह अंग्रेज़ी का वर्चस्व कायम है। हिन्दी जानते हुए भी लोग हिन्दी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। इसलिए सरकार का निरंतर प्रयास है कि हिन्दी के प्रचलन के लिए उचित माहौल तैयार किया जा सके।
हिंदी के प्रसार हेतु सरकार के हरसम्भव प्रयास
राजभाषा हिंदी के विकास के लिए खासतौर से राजभाषा विभाग का गठन किया गया है। भारत सरकार का राजभाषा विभाग इस दिशा में प्रयासरत है कि केंद्र सरकार के अधीन सभी कार्यालयों में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में हो। इसी कड़ी में राजभाषा विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है और इस उपलक्ष्य में राजभाषा सप्ताह और राजभाषा पखवाड़े के अंतर्गत हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न रचनात्मक प्रतियोगिताओं एवं गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। 14 सितम्बर, 1949 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस निर्णय को महत्व देने के लिए और हिन्दी के उपयोग को प्रचलित करने के लिए साल 1953 के उपरांत हर साल 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। राजभाषा विभाग द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक हिंदी दिवस समारोह में तत्कालीन माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने कहा था कि हिन्दी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। किसी भी भाषा की तरह हिन्दी भी मौलिक सोच की भाषा है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की भी हिंदी के प्रचार-प्रसार में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभिन्न अहम अवसरों पर उनके द्वारा दिये जाने वाले अधिकांश भाषण हिंदी भाषा में ही दिये जाते हैं। यहॉं तक कि अपने अंतरराष्ट्रीय दौरों में भी उनके द्वारा अपने उद्बोधनों में हिंदी भाषा को सर्वोच्च वरीयता दी जाती है। इसके फलस्वरूप आज हिंदी वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित हुई है। कुछ वर्षों पहले हिन्दी दिवस के मौके पर राजभाषा विभाग द्वारा सी डैक के सहयोग से तैयार किये गये लर्निंग इंडियन लैंग्वेज विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (लीला) के मोबाइल ऐप का लोकार्पण माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था। इस ऐप से देश भर में विभिन्न भाषाओं के माध्यम से जन सामान्य को हिंदी सीखने में सुविधा और सरलता हो रही है तथा हिंदी भाषा को समझना, सीखना तथा कार्य करना सभी के लिए सम्भव हो पा रहा है। हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने अनेक पुरस्कार योजनाऍं भी शुरू की हैं। सरकार द्वारा हिंदी में अच्छे कार्य के लिए ‘‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना’’ के अंतर्गत शील्ड प्रदान की जाती है। हिंदी में मौलिक लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार का प्रावधान है। आधुनिक ज्ञान विज्ञान में हिंदी में पुस्तक लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए भी सरकार पुरस्कार प्रदान करती है। इन प्रोत्साहन योजनाओं से हिंदी के विस्तार को बढ़ावा मिल रहा है। इनके अलावा विभिन्न राज्यों में गठित हिंदी साहित्य अकादमियाॅं भी अपनी रचनात्मक गतिविधियों और साहित्यिक पुरस्कारों के ज़रिये हिंदी भाषा के सम्वर्द्धन में उल्लेखनीय भूमिका निभा रही हैं।
आधुनिक प्रौद्योगिकी का सदुपयोग
हिंदी के अधिकाधिक प्रचार-प्रसार के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का सदुपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा उठाये गये कदमों के परिणामस्वरूप कम्प्यूटर पर हिंदी में कार्य करना अब अधिक आसान एवं सुविधाजनक हो गया है। इसी क्रम में राजभाषा विभाग द्वारा वेब आधारित सूचना प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है, जिससे भारत सरकार के सभी कार्यालयों में हिंदी के उत्तरोत्तर प्रयोग से सम्बंधित तिमाही प्रगति रिपोर्ट तथा अन्य रिपोर्टें राजभाषा विभाग को त्वरित गति से भिजवाना आसान हो गया है। सभी मंत्रालयों और विभागों ने अपनी वेबसाइटें हिंदी में भी तैयार कर ली हैं। सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा संचालित जन कल्याण की विभिन्न योजनाओं की जानकारी आम नागरिकों को हिन्दी में मिलने से गरीब, पिछड़े और कमज़ोर वर्ग के लोग भी लाभान्वित होते हुए देश की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं।
विकास योजनाओं में हिंदी की भागीदारी
देश की स्वतंत्रता से लेकर हिन्दी ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाॅं प्राप्त की हैं। भारत सरकार द्वारा विकास योजनाओं तथा नागरिक सेवाऍं प्रदान करने में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदी तथा प्रांतीय भाषाओं के माध्यम से बेहतर जन सुविधाऍं लोगों तक पहुॅंचाई जा सकती हैं। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा ‘‘विश्व हिंदी सम्मेलन’’ और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा ‘‘प्रवासी भारतीय दिवस’’ मनाया जाता है, जिसमें विश्व भर में रहने वाले प्रवासी भारतीय भाग लेते हैं। विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियों के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम से भारतीय मूल्यों का विश्व में और अधिक विस्तार हो रहा है। विश्व भर में करोड़ों की संख्या में भारतीय समुदाय के लोग एक सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को एक नई पहचान मिली है। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिंदी को भी मान्यता मिली है। भारतीय विचार और संस्कृति का वाहक होने का श्रेय हिन्दी को ही जाता है। आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है। विश्व हिंदी सचिवालय विदेशों में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने और संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए कार्यरत है। उम्मीद है कि हिंदी को शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा भी प्राप्त हो सकेगा।
राष्ट्रीय एकता की सच्ची परिभाषा
हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में राष्ट्रीय एकता की सच्ची परिभाषा है। सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की सम्पर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। हिंदी जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है। हिंदी के महत्त्व को गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था, ‘भारतीय भाषाऍं नदियाॅं हैं और हिंदी महानदी..! हिंदी के इसी महत्व को देखते हुए तकनीकी कम्पनियाॅं भी इस भाषा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। यह खुशी की बात है कि सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। आज वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज पूरी दुनिया में 175 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है। भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है। आज के तकनीकी युग में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हिंदी में काम को बढ़ावा देना चाहिये, ताकि देश की प्रगति में ग्रामीण जनसंख्या सहित सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी ज्ञान से समबंधित साहित्य का सरल अनुवाद किया जाये। इसके लिए राजभाषा विभाग ने सरल हिंदी शब्दावली भी तैयार की है। राजभाषा विभाग द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन योजना द्वारा हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के लेखन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे हमारे विद्यार्थियों को ज्ञान-विज्ञान सम्बंधी पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध होंगी। हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षित युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें, इस दिशा में निरंतर प्रयास भी जरूरी है।
संवाद का बेहतरीन माध्यम
भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का बेहतरीन माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये। इस कारण हिन्दी दिवस के दिन उन सभी से निवेदन किया जाता है कि वे अपने बोलचाल की भाषा में भी हिंदी का ही उपयोग करें। हिंदी भाषा के प्रसार से पूरे देश में एकता की भावना और मजबूत होगी। भारत की मूल भाषा तथा हमारी संस्कृति की आन बान शान होने के साथ दुनिया की प्राचीनतम भाषाओ में से एक भाषा हिंदी है, जो भारत के अलावा नेपाल, मॉरीशस, फिजी, गयाना और सूरीनाम जैसे देशों में बड़े पैमाने पर बोली जाती है।
सारांश के तौर पर हम अपनी हिंदी भाषा को महिमा मंडित करने के लिए ये सुरुचिपूर्ण पंक्तियाॅं गुनगुना सकते हैं….हिंदी है भारत मॉं की गौरवशाली अभिलाषा,
हिंदी है राष्ट्रीय एकता की सच्ची परिभाषा,
आओ हम सब मिलकर हिंदी का महत्व स्वीकार करें,
हिंदी बने विश्व की भाषा, यह सपना साकार करें..!
लेखक – गजानन महतपुरकर
गीतकार, मंच संचालक, स्वतंत्र पत्रकार, साहित्यकार एवं सदस्य-महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई
मोबाइल – 8369957684