पर्वराज पर्युषण में होगा समय सारोपासक साधना संस्कार शिविरसैकड़ों की संख्या में शामिल होंगे श्रावक श्राविकाएं
उज्जैन । श्रमणाचार्य विशुध्दसागरजी महाराज के मंगल शुभाषीश से ऐतिहासिक पौराणिक, धर्म नगरी उज्जैयिनी में मुनिश्री सुप्रभसागरजी एवं मुनिश्री प्रणतसागरजी महाराज ससंघ का महाज्ञान कुंभ वषार्योग महती धर्म प्रभावना साथ अनेक धार्मिक आयोजन के साथ चल रहा है, इसी श्रृंखला में पर्वराज पर्युषण की पावन बेला पर समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें स्थानीय श्रावकों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के सैकड़ों की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल होंगे।
पर्वराज पर्युषण जो आत्मा साधना का प्रमुख पर्व माना जाता है, जिसमें अबाल, वृध्द, एकासना उपवास आदि के माध्यम से अनेक प्रकार से आत्म साधन की ओर अग्रसर होता है। इसी बात को दृष्टिगत करते हुए मुनिश्री के सानिध्य में प्रतिवर्ष समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर आयोजित किया जाता है। क्योंकि संयम, तप, त्याग, साधना में जब गुरू का सानिध्य प्राप्त होता है वह और भी उत्कृष्टता को प्राप्त हो जाता है। इस वर्ष तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की तपस्थली एवं अनेक मोक्षगामी जीवों के जीवन के कल्याण की अनेक घटनाओं से जुडत्री धर्मनगरी उज्जैयिनी का यह शिविर अनेक विशेषताओं से संबध्द है। जिसमें प्रत्येक शिविरार्थी को जीवन जीने की वह अद्भुत कला सिखायी जायेगी जो भौतिकता की अंधी दौड़ में दौड़ते हुए इंसान को भी अपने जीवन को समृध्द करने के लिए अनूठा आयाम अवश्य ही प्राप्त होगा।
मुनिश्री सुप्रभसागरजी महाराज द्वारा प्रतिदिन रयणसार ग्रंथ पर प्रतिदिन संपन्न होने वाली प्रवचन माला के अंतर्गत श्री महावीर दि. जैन मंदिर परिसर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि जीवन जीना और जीवन में जीते जी जीना दोनों में बहुत अंतर है क्योंकि मात्र जीवन जीना तो संसार का प्रत्येक प्राणी जानता है लेकिन उस जीवन को जीते जीते जीने की कला मात्र मनुष्य को ही प्राप्त होना संभव है और उस कला को गुरू ही प्रदान कर सकते हैं। जीवन की दिशा और दशा बदलने का एकमात्र साधन यह समय सारोपासक साधना संस्कार शिविर है, जिसमें आत्मकल्याण की क्रिया के साथ ही अध्यात्म की कला भी श्रावक श्राविकाओं को प्राप्त होने वाली है। संचालन जीवन्धर जैन ने किया। चित्र अनावरण प्रमोद जैन दादा, अशोक मोदी, शांति कासलीवाल, आर सी जैन, अशोक जैसवाल, गोरव सेठी ने किया। पाद प्रक्षालन अनिल दोषी, सुरेश जैन, प्रमोद जैन ने किया। शास्त्र भेंट कविता पांडया, सौनाली सेठी, अर्चना जैन, कांता गंगवाल, पुष्पा बज ने किया। महाज्ञान कुंभ वषार्योग समिति के मीडिया प्रभारी प्रदीप झांझरी ने बताया कि पर्युषण पर्व पर आयोजित होने वाले शिविर की वृहद स्तर की तैयारियां उद्यन मार्ग स्थित आनंद मंगल परिसर में प्रारंभ हो चुकी है। जिसमें प्रत्येक शिविरार्थी के दस दिन पर्यंत शुध्द प्रासुक भोजन एवं आवास की नि:शुल्क व्यवस्था महाज्ञान कुंभ वषार्योग समिति द्वारा की जा रही है। शिविरार्थियों के आत्म कल्याण की क्रियाएं 19 सितंबर से प्रात: 4.30 बजे से योग, ध्यान, अभिषेक पूजन से प्रारंभ होगी। मुनिश्री द्वारा ध्यान करने की विधि प्रात: 5 बजे से सिखायी जाएगी एवं उत्तम क्षमादि दस धर्मों के प्रवचन भी गुरू मुख से सुनने का अवसर प्राप्त होगा। दोपहर में तत्वार्थ सूत्र का विस्तृत विवेचन भी मुनिश्री द्वारा होगा। इसके अतिरिक्त और भी जीवन उपयोगी सूत्र गुरू मुख से प्राप्त होंगे। जो भी शिविरार्थी इस शिविर में भाग लेना चाहते हैं वे अपने रजिस्ट्रेशन फार्म भरकर 15 सितंबर तक वषार्योग कार्यालय में अवश्य ही जमा करायें जिससे आपकी समस्त व्यवस्थाएं समय से व्यवस्थित हो सकें।