अगड़े – पिछड़े के झगड़े में अपनों से ही हार गई भाजपा
रैगांव में सीएम नहीं बैठा पाए समन्वय
ब्रह्मास्त्र भोपाल। प्रदेश की 3 विधानसभा सीटों में हुए उपचुनाव में भाजपा ने जहां कांग्रेस से 2 सीटें छीन ली, वहीं एक सीट रैगांव को गंवा दिया। रैगांव तो भाजपा की सीट थी। यहां से कांग्रेस पिछले 31 सालों में कभी नहीं जीती थी। फिर कांग्रेस के लिए रैगांव का दरवाजा कैसे खुल गया? इसे लेकर सभी आश्चर्यचकित हैं, परंतु वास्तव में रैगांव पर भाजपा अपनी ही गुटबाजी के कारण हार गई। रैगांव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर दबी जुबां से यह आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने इस सीट के एक नेताओं की उपेक्षा की। पिछले गणेश विसर्जन के दौरान भी अगड़े और पिछड़े वर्ग के नेताओं में विवाद हुए थे। मुख्यमंत्री ने इन दोनों वर्गों के बीच समन्वय बैठाने की कोशिश नहीं की, बल्कि स्ववर्ण नेताओं को किनारे पर ला खड़ा किया। दोनों वर्गों में तलवारें इस तरह खिंची कि मुख्यमंत्री ने उपचुनाव की पूरी कमान ही पिछड़े वर्ग को दे दी। पिछड़ा वर्ग इसमें कोई चमत्कार नहीं दिखा पाया और समान वर्ग के नेता घर बैठ गए। परिणाम सामने है। भाजपा की परंपरागत सीट होने के बावजूद रैगांव पर वह हार गई। वैसे, कांग्रेस की जीत की एक और वजह बसपा भी है। जिसने इस बार अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं किया। इसका लाभ भी कांग्रेस को मिला।