धर्म संस्कृति के वाहक मुख्यमंत्री, शिवराज का विजन : ओंकारेश्वर में अद्भुत है शंकराचार्य की प्रतिमा और एकात्म धाम

 

इंदौर। यहां से महज 85 किलोमीटर खंडवा जिले में स्थित प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में मांधाता पर्वत पर जगद्गुरू आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बन कर तैयार हो गई है। इस प्रतिमा को अष्टधातु से तैयार किया गया है, जिसे बनाने में देश भर के ख्यातनाम कलाकारों और इंजीनियरों की मेहनत है। इस प्रतिमा का लोकार्पण मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 18 सितंबर को करने वाले हैं। इसके पहले 16 सितंबर से धार्मिक आयोजनों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। यहां पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अलावा हवन, यज्ञ आदि धार्मिक कार्य होंगे, जिसमें बड़ी संख्या में साधु संत सम्मिलित होंगे।

अद्वैत वेदांत के दर्शन का संदेश देगा ‘एकात्म धाम’

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विजन और संत समाज के मार्गदर्शन में खंडवा के ओंकारेश्वर में स्थित ओंकार पर्वत पर अद्भुत और अलौकिक आध्यात्मिक लोक एकात्म धाम का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रदेश में धर्म संस्कृति को विकसित करने के प्रयास में इस प्रोजेक्ट को देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज का प्रदेश में धर्म संस्कृति को विकसित करने के प्रयास में इस प्रोजेक्ट को देखा जा रहा है।
आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की ऐसी व्याख्या कि जिससे पूरी दुनिया अभी तक अभिभूत है। वर्तमान में सनातन धर्म के स्वरूप की परिकल्पना आदि शंकराचाज्ञर्य ने की थी। उसी का अभी तक हमारे समाज में अनुपालन किया जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट के असिस्टेंट प्रोग्राम ऑफिसर आशुतोष सिंह ठाकुर ने कहा कि यह प्रोजेक्ट ओंकारेश्वर के एकात्म धाम में बन रहा है। ये भूमि आदि शंकराचाज्ञर्य की ज्ञान भूमि है। इस जगह को अद्वैत वेदांत का एकात्मता का वैश्विक केंद्र बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज के संकल्प से इसे जमीन पर उतारा जा रहा है। इसमें आदि शंकराचाज्ञर्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा, अद्वैत लोक, संग्रालहय और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान का निर्माण कराया जाएगा। इसके माध्यम से अद्वैत वेदांत और भारतीय दर्शन का विश्व में प्रचार प्रसार किया जा सकेगा। इसी कारण से इसको यहां पर बनाया जा रहा है।
इस प्रतिमा की मजबूती पर खास ख्याल रखा गया है। इस प्रतिमा का अगले 500 सालों तक कुछ नहीं बिगड़ेगा। इस प्रतिमा के दर्शन काफी दूर से किए जा सकेंगे।
सरकार ने देखा कि उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद से उस इलाके में आर्थिक गतिविधियां काफी तेज हुईं। इसी कारण से ऐसे और प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं। जो कि आध्यात्मिकता के साथ ही लोगों को रोजगार देने का भी काम करें। जब यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो निश्चित रूप से ओंकारेश्वर में भी आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। सबसे खास बात है कि इससे यहां के लोगों के कमाई के नए साधन बनते हैं। इससे आसपास के इलाकों को भी फायदा होगा।
आदि शंकराचार्य ने भारत को अपने परम वैभव पर पुनः स्थापित किया था। वे सनातन धर्म के पुनरोद्धारक हैं। आज हम जो भारत देख रहे हैं वे आचार्य शंकर की देन है। उन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी। उन्होंने कुंभ मेले को पुनर्जीवित किया। कई परंपराओं को शुरू किया। सिर्फ 32 वर्ष की आयु में उन्होंने सनातन धर्म और भारत का पुनरुद्धार किया। उन्होंने देश को पुनर्जाग्रत और व्यवस्थित किया। वे केरल से चलकर अपने गुरु की खोज में ओंकारेश्वर तक पैदल आए थे। इस घटना का हमारे लिए बड़ा महत्व है। इसी कारण से इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए ओंकारेश्वर को चुना गया है।
इस प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए मध्य प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से न केवल पर्यटन बल्कि सरकार के द्वारा किया जा रहा सांस्कृतिक पुनरुद्धार का काम भी होगा। अद्वैत वेदांत के प्रति आस्था रखने वाले लोगों के लिए यह ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक केंद्र के रूप में उभरेगा। यह स्थान आने वाले समय में देश-विदेश के लोगों को आकर्षित करेगा। जब काफी समय संख्या में बाहर से लोग यहां पर आएंगे तो निश्चित रूप से स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से फायदा होगा।

ओंकारेश्वर से ही शुरू हुई थी शंकराचार्य की अखंड भारत यात्रा

शंकराचार्य की अखंड भारत की यात्रा ओंकारेश्वर से शुरू हुई थी। ओंकारेश्वर ऐसा धाम हैं जहां उनको गुरु पद प्राप्त हुआ। शंकराचार्य की अखंड भारत की यात्रा के स्थानों को चिन्हित किया जा रहा है और उनको जोड़ा जा रहा है।