मध्यप्रदेश में “फिर भाजपा, फिर शिवराज” निजी चैनल के सर्वे में इस चुनाव में भी भाजपा की बन रही है सरकार
– मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सबसे ज्यादा लोगों की पसंद
– भाजपा को कांग्रेस से 8 फीसदी ज्यादा वोट शेयर मिलने की संभावना
– शिवराज की लाड़ली बहना योजना 51 फीसदी लोगों की पसंद, कांग्रेस की योजना पर सिर्फ 7 फीसदी को भरोसा
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए जब 100 दिन से भी कम समय बचा है, ऐसे में एक निजी समाचार चैनल के सर्वे में प्रदेश में फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती दिख रही है। सर्वे के मुताबिक भाजपा सबसे ज्यादा विधायकों के साथ सरकार बनाने लायक बहुमत हासिल कर सकती है। वहीं कांग्रेस फिर बहुमत के करिश्माई अंक 116 से कहीं पीछे है। मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान सर्वे में शामिल लोगों की पहली पसंद हैं।
मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं और इसके लिए वो जनता को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इन दलों के दावे की जमीनी हकीकत जानने के लिए प्रदेश में नीचे तक नेटवर्क वाले एक निजी चैनल ने जनता की नब्ज टटोलने की पहल की। सर्वे करने वाले चैनल का दावा है कि उसने ऑफ लाइन और ऑन लाइन माध्यम से करीब साढ़े 25 हजार लोगों से उनकी राय जानी। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि मध्यप्रदेश में भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है और वह अपनी स्थिति और मजबूत करती दिख रही है। अगर आज मध्यप्रदेश में चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाती दिख रही है। भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले 8 फीसदी ज्यादा लोगों का समर्थन मिला है। वहीं मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान को कांग्रेस के सीएम पद के दावेदार कमलनाथ से ज्यादा लोगों ने पसंद किया है। भाजपा से भी कोई अन्य नेता शिवराज के मुकाबले नहीं ठहर रहा है।
चैनल के अनुसार करीब साढ़े 25 हजार सैंपल साइज से मिले आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार में वापसी हो सकती है। सर्वे करने वाले चैनल ने लोगों से पूछा कि अगर आज चुनाव हुए तो वे किस पार्टी को वोट देंगे? इस सवाल के जवाब में 52 फीसदी लोगों ने भाजपा को, जबकि 44 फीसदी लोगों ने कांग्रेस को वोट देने की बात कही है जबकि 4 फीसदी लोगों ने अन्य पार्टी पर भरोसा जताया। इस आधार पर 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा को 110 से 120 सीट मिल सकती है। यह आंकड़ा भाजपा की सरकार बनने का स्पष्ट संकेत देता है। दूसरी तरफ कांग्रेस के खाते में 101 से 110 तक सीटें आ सकती हैं। अन्य पार्टियों की झोली में 5 से 10 सीटें जाने की संभावना सर्वे ने जताई है।
मुख्यमंत्री के रूप में मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस के कमलनाथ के मुकाबले ज्यादा पसंद किए गए हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर 49 फीसदी लोगों ने शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा जताया है, जबकि 44 फीसदी लोगों ने कमलनाथ को अपनी पसंद बताया। वहीं 7 फीसदी लोग किसी अन्य को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री पद के लिए मध्यप्रदेश के लोगों के लिए भी नरेंद्र मोदी पहली पसंद बने हुए हैं। 68 फीसदी लोग नरेंद्र मोदी को जबकि 30 फीसदी लोग राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं।
सर्वे से ये बात उभर कर सामने आई कि लोग वोट देते समय सबसे ज्यादा प्रत्याशी को महत्व देते हैं। लोगों से पूछा गया कि वो पार्टी, प्रत्याशी या फिर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार में से किसको देखकर वोट देंगे तो 43 फीसदी लोगों ने प्रत्याशी को अपनी पहली प्राथमिकता बताया। जबकि 25 फीसदी लोगों ने पार्टी को, वहीं 15 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के आधार पर वोट देने की बात कही। मुद्दों के आधार पर 16 फीसदी, जबकि जाति देखकर महज 1 फीसदी लोग वोट देना चाहते हैं।
इसके अलावा सर्वे का एक महत्वपूर्ण सवाल भाजपा और कांग्रेस की ओर से जनता को लुभाने के लिए किए जा रहे वादों से जुड़ा था। यहां भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का काम और योजनाएं कांग्रेस के वचन और गारंटी पर भारी पड़ती दिख रही हैं। शिवराज सरकार की गेम चेंजर मानी जा रही लाड़ली बहना योजना को सर्वे में भी जोरदार रिस्पांस मिला है। 51 फीसदी लोगों को लाड़ली बहना योजना पसंद आई है, जबकि 24 फीसदी लोगों को लाड़ली लक्ष्मी -2 योजना और 25 फीसदी लोगों ने सीएम रोजगार योजना पर मुहर लगाई है। चैनल ने जनता से पूछा कि वे कांग्रेस की ओर से किए जा रहे किस वादे से प्रभावित होकर अपना वोट देंगे। इस सवाल के जवाब में मिले नतीजे बताते हैं कि केवल 37 फीसदी लोगों का झुकाव किसानों की कर्जमाफी का मुद्दे पर है। वहीं 29 फीसदी लोगों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर, 27 फीसदी लोगों को पुरानी पेंशन बहाली जबकि सिर्फ 7 फीसदी लोगों को महिलाओं को 18 हजार रुपए देने के कांग्रेस के नारी सम्मान योजना वादे ने लुभाया है।
चैनल ने बताया है कि उसने ऑफलाइन और ऑन लाइन दोनों माध्यमों के जरिए लोगों की राय जानने की कोशिश की। सर्वे फार्म के जरिए जहां सीधे लोगों के बीच पहुंचे वहीं डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए भी लोगों से ऑनलाइन उनकी राय जानी। इनमें से करीब 25 हजार लोगों की राय को सर्वे में शामिल किया। जबकि सैंपल साइज इससे भी बड़ा था, पर सर्वे के नतीजों को प्रमाणिकता की कसौटी पर खरा उतारने के लिए उन फार्म को सर्वे में शामिल नहीं किया गया, जिनमें लोगों ने आधे-अधूरे या एक से ज्यादा विकल्पों को भर दिया था। जिनके फोन नंबर, पता या पहचान संदिग्ध नजर आई उन्हें भी गणना से बाहर कर दिया गया। इस तरीके से फिल्टर करने के बाद 25 हजार से ज्यादा के सर्वे सैंपल साइज के आधार पर ये रुझान सामने आए हैं। चैनल का दावा है कि पिछले चुनावों में भी उसके चुनाव से पूर्व सर्वे के नतीजे चुनाव परिणामों के बिल्कुल अनुरूप साबित हुए थे।