बड़वानी : स्वतंत्रता संग्राम में रहा गणेशोत्सव का योगदानगणेशजी के व्यक्तित्व से सीखें युवा सफलता के सूत्र
बड़वानी । गणेशोत्सव का भारत की आजादी की लड़ाई में योगदान रहा है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में सार्वजनिक गणेश उत्सव प्रारंभ किया था। इसका उद्देश्य लोगों को एकत्र करके उनमें राष्ट्रीयता की भावना का संचार करना था। इसके व्यापक परिणाम हुए। गणेशजी के व्यक्तित्व से सफलता के सूत्र सीख सकते हैं। वेदव्यास जी महाभारत बोलते रहे और गणेश जी निरंतर लिखते रहे। यदि आपका लक्ष्य पीएससी या यूपीएससी जैसी बड़ी परीक्षाएं उत्तीर्ण करना हैं तो आप भी निरंतर लिखने और पढ़ने की प्रेरणा गणेश जी से प्राप्त कीजिए। ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कॅरियर काउंसलर डॉ. मधुसूदन चोबे ने कहीं। प्राचार्य डॉ. दिनेश वर्मा के मार्गदर्शन में आयोजन किया गया।
गणेशजी का व्यक्तित्व सीखाता है ये बातें
कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया, वर्षा मुजाल्दे और डॉ. चौबे ने बताया कि गणेश जी के व्यक्तित्व की विशेषताएं विद्यार्थी, शिक्षक, प्रशासक तथा सभी क्षेत्रों में कार्य करने वाले व्यक्तियों को सफलता के लिए बेशकीमती सूत्र देता है, जैसे-
गज मस्तिष्क बुद्धिमत्ता का परिचायक है। सामान्यत: हाथी धीर, गंभीर और शांतचित्त होता है।उनकी आंखें छोटी हैं, जिसके कारण मन के भाव अन्य व्यक्ति नहीं पढ़ सकता है। बड़े कान अधिक से अधिक सुनने की प्रवृत्ति के द्योतक हैं। जो विद्यार्थी ज्यादा से ज्यादा अच्छी बातें सुनने की प्रवृत्ति का विकास कर लेता है, वह बहुत अधिक सीखता है।हाथी बिना झुके अपनी सूँड की सहायता से कोई भी वस्तु उठा सकता है साथ ही वह परम शक्तिवान भी होता है।