मोदी जी के लिए महिला सशक्तीकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं, मान्यता का सवाल – शाह
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा 128वाँ संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ बिल पेश किया गया, जिसे बुधवार को लोकसभा में पास कर दिया गया। इस मौके पर विपक्ष के सवालों का करारा जवाब देते हुए शाह ने स्पष्ट किया कि, ‘कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तीकरण पॉलिटिकल एजेंडा या राजनीतिक मुद्दा हो सकता है। मोदी जी के लिए महिला सशक्तीकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि मान्यता का सवाल है।’ नए संसद भवन में पेश किया गया ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पर वोटिंग के दौरान तमाम बहसों के बीच बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े और यह बिल दो तिहाई बहुमत से पास हो गया।
दरअसल, महिला आरक्षण लागू करने को लेकर विपक्षी दलों की एक बड़ी आपत्ति थी। उनका कहना था कि बिल तो संसद के इस विशेष सत्र में पारित हो जाएगा, लेकिन इसे 2029 से पहले लागू क्यों नहीं किया जा सकता है? विपक्षियों ने अपना समर्थन देने के बावजूद यह आरोप लगाया कि महिला आरक्षण के बहाने सरकार ने चुनावी झुनझुना पकड़ाया है, क्योंकि जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया से पहले आरक्षण लागू नहीं होगा।
इन आरोपों के जवाब में भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह ने तर्क दिया कि, ‘महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण में पारदर्शिता को बरकरार रखने के लिए जनगणना और परिसीमन दोनों ही बेहद जरूरी है। इसलिए 2024 लोकसभा चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर देगी।’
मोदी जी के ‘वुमेन लेड डेवलपमेंट’ को साकार करने वाला यह बिल देश में निर्णय लेने और नीति निर्धारण में महिलाओं की भागीदारी को आगे बढ़ाएगा। यह विडंबना है कि देवेगौड़ा सरकार से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार तक, इस बिल को लाने के लिए चार कोशिशें की गईं, लेकिन राजनीतिक रोटी सेंकने के कारण यह बिल कभी पारित नहीं हुआ। 27 साल से लंबित यह बिल शाह के मार्गदर्शन में लोकसभा में पास किया जा चुका है।