कोरोना का दंश : श्राद्ध, तर्पण कराने को ढूंढे नहीं मिल रहे पंडितजी
29 सितंबर से शुरू हुआ और 14 अक्टूबर तक चलेंगे श्राद्ध, कई पंडित तो एक दिन में चार से पांच जगहों पर पूजन करवा रहे
इंदौर। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष में कुछ ऐसी स्थिति बन रही है कि प्रतिवर्ष होने वाले श्राद्ध से इस बार करीब तीन गुना अधिक श्राद्ध हो रहे हैं। इस कारण श्राद्ध-तर्पण करवाने के लिए पंडितों के पास काफी मात्रा में आयोजनों की बुकिंग है। कई पंडित तो एक दिन में चार से पांच जगहों पर पूजन करवा रहे हैं। ऐसे में कई परिवारों को तो पंडित जी ढूंढे से नहीं मिल रहे हैं।
सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पहले या तीसरे साल से उसकी श्राद्ध क्रिया आरंभ कर दी जाती है। पिछले साल तक वर्ष 2018 तक मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के श्राद्ध किए जा रहे थे। पंडित रमाशंकर ने बताया कि वर्ष 2019 में कोरोना महामारी आई तो सामान्य वर्षों की अपेक्षा करीब तीन गुना अधिक मृत्यु हुई। उस कालखंड से करीब तीन साल बाद अर्थात इस वर्ष हर साल की अपेक्षा तीन गुना श्राद्ध बढ़ गए हैं। 29 सितंबर को श्राद्ध शुरू हो चुके हैं, जो 14 अक्टूबर तक चलेंगे।
पंडितों के लिए लोग कई दिनों पहले से ही चक्कर काट रहे हैं। परेशानी की बात यह है कि श्राद्ध तो 16 दिन चलेंगे, लेकिन तर्पण-श्राद्ध को तय तिथि पर ही किया जाता है। ऐसे में अधिकांश लोग पहले ही पंडित जी की बुकिंग करवा चुके हैं। अब जो बच गए हैं, उन्हें पंडित जी नहीं मिल रहे हैं।
दो विकल्पों में कर सकते हैं श्राद्ध
वैसे तो सभी पर्व अपने समय पर ही करने चाहिए, किंतु किन्हीं कारणों की वजह से मृत्यु के तीन साल बाद अगर शुक्ल पक्ष के तय भाद्रपद मास में श्राद्ध नहीं हुए, तो यजमान के पास दो विकल्प होते हैं। पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा मृत्यु के पांचवें वर्ष में पितृ पक्ष में। कृष्ण पक्ष पितरों को प्रिय होता है। अगर यजमान को जल्दी पितरों के श्राद्ध करना हो तो हिंदी कैलेंडर की तिथि के अनुसार, कृष्ण पक्ष में उसी तिथि को तर्पण श्राद्ध करवाने चाहिए। वहीं शास्त्रों में पांचवें वर्ष का भी विधान है।