ग्रह निर्माण मंडल व्रत्त उज्जैन में उपायुक्त ने खोली “तबादलों की दुकान”

-6माह में 120 फीसदी तबादला आदेश, ऐसा भी हुआ कि सुबह तबादला शाम को निरस्ती आदेश

उज्जैन। ग्रह निर्माण मंडल व्रत्त उज्जैन में उपायुक्त यशवंत दोहरे ने अधिकार मिलते ही तबादलों की दुकान लगा दी।पिछले 6 माह में 120 फीसदी तबादला आदेश जारी किए गए हैं। ऐसा भी हुआ है कि सुबह तबादला आदेश निकाला गया और शाम को उसका निरस्ती आदेश जारी किया गया है।ये पूरा खेल उज्जैन व्रत्त के त्रतीय और चतुर्थ श्रेणी के उज्जैन और रतलाम में पदस्थ कर्मचारियों के साथ खेला गया है।कुल जमा व्रत्त के दोनों कार्यालयों में करीब 70 कर्मचारी हैं और तबादला एवं निरस्ती के कुल आदेश 90 से अधिक निकाले गए हैं।

ग्रह निर्माण मंडल व्रत्त कार्यालय उज्जैन में उपायुक्त को तबादलों का अधिकार मिलने के उपरांत उन्होंने ने व्रत्त के उज्जैन एवं रतलाम कार्यालय में जमकर तबादला किए हैं।मंडल के सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि दोनों कार्यालय में पदस्थ त्रतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के करीब 70 कर्मचारी हैं। इसके अतिरिक्त प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारी पदस्थ हैं।उपायुक्त को त्रतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के तबादलों का अधिकार मिला था। अधिकार मिलते ही उपायुक्त ने धीरे –धीरे तबादलों से संबंधित 90 से अधिक आदेश जारी किए हैं।सूत्रों का दावा है कि उपायुक्त ने स्वहित के लिए शासन की नीति को भी ताक में रखकर तबादले किए।हालत यहां तक बताई जा रही है कि सुबह जिस कर्मचारी का तबादला आदेश जारी किया उसका शाम को तबादला निरस्ती आदेश जारी किया गया है।दावे के साथ यह भी कहा जा रहा है कि इन आदेशों में कर्मचारी को डराया और दबाया गया है।राज्य सरकार की तबादला नीति के विरूद्ध ग्रह निर्माण मंडल में कार्य किया गया है।बताया तो यहां तक जा रहा है कि मंडल कार्यालय की स्थापना से लेकर आज तक कभी इतने तबादला आदेश जारी नहीं किए गए जितने उपायुक्त दोहरे ने जारी किए हैं।

दोनों कार्यपालन यंत्री से असमन्वय-

ग्रह निर्माण मंडल के व्रत्त कार्यालय उज्जैन एवं रतलाम में एक – एक कार्यापालन यंत्री पदस्थ हैं। इनमें से उज्जैन के कार्यपालन यंत्री ने वर्ष 2016 में उपायुक्त के उज्जैन पदस्थी के दौरान कुछ दिनों के लिए काम किया । इसकी अपेक्षा रतलाम में पदस्थ कार्यपालन यंत्री ने उपायुक्त के साथ लंबे समय तक काम किया।उपायुक्त के इंदौर व्रत्त पदस्थी के समय रतलाम कार्यपालन यंत्री धार में पदस्थ रहे।उसके बाद वे रतलाम आ गए और उपायुक्त करीब एक साल से अधिक समय बाद उज्जैन।उपायुक्त के उज्जैन आने के समय रतलाम वाले कार्यपालन यंत्री बडे प्रसन्न हुए थे लेकिन उनकी प्रसन्नता कुछ समय ही रह पाई। कार्यालय सूत्र बताते हैं कि उपायुक्त के साथ न उज्जैन वाले और न ही रतलाम वाले साहब का समन्वय बैठ पा रहा है।इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि उपायुक्त संवाद,संपर्क और सहयोग तीनों का ही पालन करने में काफी कमजोर हैं।