4 दिनों तक हुआ “एक कुत्ते की मौत“ का मंचन

उज्जैन। कालीदास संस्कृत अकादमी के अभिरंग नाट्यगृह में नाटक “एक कुत्ते की मौत“ का मंचन किया गया। 27 सितंबर से शासकीय बालिका संरक्षण गृह लालपुर से प्रारंभ हुआ नाट्य मंचन सेवाधाम आश्रम अंबोदीया, संस्कार पब्लिक स्कूल में भी किया गया।
अंतिम दिन संकुल प्रेक्षागृह कालीदास संस्कृत अकादमी में समापन सत्र में नगर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया, बिहार सरकार के पूर्व कमिशनर डॉ शिवाजी कुमार, वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद वरुण श्रीमाल तथा सेवाधाम आश्रम के संस्थापक, समाज सेवी सुधीर भाई गोयल विशेष रूप से उपस्थित थे। कहानी सड़क पर पड़े हुए एक मरे हुए कुत्ते को हटाने के विवाद से आरंभ होती है और बहुत ही दिलचस्प तरीके से ये प्रकरण पंचायत, नगर निगम, राज्य सरकार से होकर पूरे देश का मुद्दा बन जाता है, इस नाटक में जहां एक और आज की सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितियों को दर्शाया गया है वही दूसरी ओर प्रजातंत्र में आम आदमी की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है। मंच पर जिन कलाकारो ने अभिनय किया उनमें जजा अहमद, आयुषी सिंह, निखिल घावरी, ऋषि योगी, दिव्य ननोरे, शांतनु भागचंदानी, रोहन बाथम, अल – हमजा, सावी शर्मा, मूसा खान, ईसा खान, चित्रांश गोमे, नक्षत्रा निगम, परम निगम, हर्ष विश्वकर्मा, अनिरुद्ध तिवारी मुख्य रूप से अपने भूमिका में सफल रहे है। सत्यनारायण सारू की मूल कहानी “मरा हुआ कुत्ता“ का नाट्य रूपांतरण राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के वरिष्ठ रंगकर्मी हफीज खान द्वारा एवं निर्देशन ईवान खान द्वारा किया गया है। संगीत अंशुल भटनागर का था। महीना भर तक चलने वाली इस कार्यशाला में उज्जैन नगर के विभिन्न विद्यालयों के 25 बच्चे एवं युवा रंगकर्मी अंकुर रंगमंडल के सदस्य के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। ये प्रस्तुतियां वरिष्ठ रंगकर्मी विश्वास शर्मा, अनिल परमार एवं माचकार बद्री पहलवान, अनिल पांचाल एवं शिक्षाविद श्रीमान ललित श्रीमाल तथा प्रोफेसर हरीश प्रधान जी की स्मृति में समर्पित रहा। अंकुर रंगमंच द्वारा मध्यप्रदेश संस्कृति मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी एवं संस्कृति विभाग भारत सरकार के सहयोग से पर्यावरण एवं सामाजिक चेतना पर आधारित नाटक “एक कुत्ते की मौत“ का मंचन नगर की विभिन्न संस्थाओं में किया गया।