दादा के साथ कोर्ट में 164 के बयान देने पहुंची बालिका 15 दिनों से भर्ती थी अस्पताल में , शाम को रवाना हुई सतना

उज्जैन। आटो चालक की हैवानियत का शिकार बालिका बुधवार को दादा के साथ 164 के बयान देने के लिये कोर्ट पहुंची। पुलिस ने विशेष न्यायालय (पास्को एक्ट) में पेश किया। हैवानियत के बाद बालिका को उपचार के लिये इंदौर में भर्ती किया गया था जहां सर्जरी कराई गई थी। सतना से लापता हुई बालिका 24 सितंबर की रात उज्जैन पहुंची थी। 25 सितंबर की तड़के रेलवे स्टेशन से आटो चालक भरत सोनी उसे अपने साथ जीवनखेड़ी ले गया था और हैवानियत की थी। बालिका मुरलीपुरा ढांडी आश्रम के सामने बदहवास अद्र्धनग्न हालत में मिली थी। महाकाल थाना पुलिस ने हैवानियत होना सामने आने पर बालिका को उपचार के लिये रात में इंदौर उपचार के लिये भेजा था, जहां सर्जरी की गई थी। 15 दिनों से बालिका डॉक्टरों की निगरानी में थी। मंगलवार को स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया गया। बुधवार सुबह पुलिस बालिका और उसके दादा को लेकर उज्जैन विशेष न्यायालय लेकर पहुंची। जहां बालिका गृह ले जाया गया। जहां एक घंटे तक बालिका के 164 में बयान दर्ज किये गये। न्यायालयीन प्रक्रिया पूरी होने के बाद बालिका अपने दादा और सतना पुलिस के साथ घर के लिये रवाना हो गई। गौरतलब हो कि बालिका के लापता होने पर सतना पुलिस ने अपहरण की धारा 363 का मुकदमा दर्ज किया था। बालिका के साथ हैवानियत होने का पता चलने पर सतना पुलिस बालिका के परिजनों को लेकर उज्जैन पहुंची थी। जिसके बाद से यही थी। अब महाकाल पुलिस हैवानियत करने वाले आटो चालक के खिलाफ चालान पेश करने की तैयारी में लग गई है। डीएनए रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। टीआई अजय वर्मा ने बताया कि जल्द ही मामले की सुनवाई फास्ट ट्रेक कोर्ट शुरू होगी। विशेष न्यायालय भी जल्द हैवानियत करने वाले को सजा सुनाएगा।
घटना को लेकर देशभर में मचा था हंगामा
धार्मिक नगरी में हुई बालिका के साथ हैवानियत को लेकर देशभर में हंगामा मचा था। और दरिंदे के खिलाफ  सख्त कार्रवाई की आवाज उठने लगी थी। मासूम के समर्थन में भी कई लोगों ने मदद के हाथ बढ़ा दिए थे। महाकाल थाना प्रभारी अजय वर्मा ने मासूम को गोद लेकर उसका पढ़ाई-लिखाई, भरण-पोषण और शादी तक का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ले ली थी। बालिका मानसिकरूप से कमजोर है, जिसका उपचार करने की जिम्मेदारी इंदौर के मनोचिकित्सक डॉ.विनोद भंडारी ने ली है। शहर के कई लोगों ने भी आर्थिक सहायता पुलिस प्रशासन की मदद से परिवार को दी।
जेल की सलाखों के पीछे है दरिंदा
25 सितंबर को हुई घटना के बाद एसपी सचिन शर्मा ने हैवानियत करने वाले की पहचान और गिरफ्तारी के लिये 28 सदस्यों की एसआईटी गठित की थी। 72 घंटे में दरिंदे को गिरफ्तार कर लिया था। जिसे तस्दीक के लिए जीवनखेड़ी ले जाया गया, जहां भागने की कोशिश करते समय दरिंदे के हाथ पैर टूट चुके थे। फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल की सलाखों के पीछे है। पुलिस ने अतिक्रमण कर बनाये गये उसके मकान को नगर निगम की मदद से जमीदोंज भी कर दिया है।