शिप्रा का पानी काला…रामघाट पर ही नहाने लायक नहीं बचा…

उज्जैन। शिप्रा नदी का पानी एक बार फिर से काला पड़ गया। हालांकि उज्जैन के रहवासियों के लिए ये कोई नई बात नहीं है। लेकिन बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की शिप्रा की ये हालत देखकर धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचती है। बताया जा रहा है कि शिप्रा में बुधवार की सुबह फिर इंदौर की कान्ह नदी का दूषित पानी मिल गया। इससे यह हालत हुई। शिप्रा का रामघाट मुख्य केंद्र बिंदु है।

श्रद्धालु घाट आकर लौट रहे, पवित्र कार्तिक मास अलग चल रहा….अब तक करोड़ों खर्च पर साफ नहीं हो सकी उज्जैन की शिप्रा नदी…

यहां पर लोग स्नान के लिए आते हैं और पंडे-पुजारियों से पूजन-अर्चन आदि भी कराते हैं। अभी पवित्र कार्तिक मास अलग चल रहा है। प्रतिदिन स्थानीय लोग कार्तिक में नहान के लिए शिप्रा नदी पर पहुंचते ही है। इसके अलावा भी प्रतिदिन सैकड़ों लोग स्नान व दान-पुण्य के लिए पहुंचते हैं। रामघाट पर शिप्रा का पानी अभी काला है जो कि नहाने के लायक भी नहीं है।

कान्ह डायवर्सन योजना में ही….करोड़ खर्च पर पानी नहीं रुका…

शिप्रा में इंदौर रोड नवग्रह शनि मंदिर त्रिवेणी संगम से ही पानी दूषित है। कान्ह नदी का पानी तो सीधे शिप्रा में मिलकर इसे दूषित कर ही रहा है। इसके अलावा शिप्रा में छोटे-बड़े कई नाले अलग मिल रहे हैं। जबकि कान्ह डायवर्सन योजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद भी तो शिप्रा में कान्ह का केमिकल युक्त गंदा पानी अब भी मिल रहा है।

मिट्‌टी के पाले बनाते हैं…तो बरसात में टूट जाते हैं….

शिप्रा में कान्ह नदी के दूषित पानी को रोकने के लिए कई बार प्रशासनिक स्तर पर मिट्‌टी के पाले बनाते हैं। लेकिन यह तेज बारिश में टूट ही जाते हैं और कान्ह का दूषित पानी फिर बहकर शिप्रा में मिल जाता है। ऐसा कई बार हो चुका है।

महामंडलेश्वर ज्ञानदास कर….रहे शिप्रा के लिए आंदोलन…

दादूराम आश्रम सदावल रोड के महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज शिप्रा के शुद्धिकरण की मांग को लेकर कभी से आंदोलन कर रहे हैं। पूर्व में उन्होंने अन्न तक त्याग दिया था। फिलहाल वे उपवास कर रहे हैं और चरण पादुका छोड़ रखी है। 5 नवंबर को वे इसके लिए शिप्रा पूजन भी करने वाले हैं।