हाथ जोडकर ,पांव पढ़कर वोट मांगने की परंपरा अब भी बरकरार

उज्जैन। उज्जैन दक्षिण से प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा के दो बार के विधायक रहे मंत्री जी डा. मोहन यादव हो या फिर कांग्रेस के नए नवेले चेतन यादव । यही नहीं उत्तर में भाजपा प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़ रहे अनिल जैन कालूहेडा हों या फिर कांग्रेस की प्रत्याशी श्रीमती माया राजेश त्रिवेदी। चुनाव में वोट मांगने के लिए सभी प्रत्याशियों को हाथ जोडकर ,पांव पढकर परंपरा को बरकरार रखना पड रहा है।

बदलते समय के साथ भले ही चुनाव प्रचार के तौर तरीके हाईटेक होकर बदल गए हों लेकिन इसे मजबूरी कहें या फिर परंपरा यह मतदाताओं के लिए एक तरह से पांच वर्ष का अभिवादन है। सिर्फ पांच वर्ष में ही एक बार इस परंपरा का पालन करने के लिए प्रत्याशी आता है और उसके बाद यह परंपरा धूल धूसरित होती रहती है। इसके बाद फिर से चुनाव में ही मतदाता को इंतजार रहता है। शेष समय में मतदाता ही पैर पडता हुआ दिखाई देता है। कुछ भी कहें हाथ जोड़कर,पैर पढ़कर वोट मांगने की पुरानी परंपरा आज भी बरकरार है। प्रत्याशी ही नहीं, उनके परिजन नाते- रिश्तेदार, दोस्त आदि भी अपने-अपने तरीके से प्रचार की कमान संभाल रहे है। खास बात यह है कि प्रचार का तरीका घर घर मे हाथ जोड़कर वोट मांगना ही है।

सुबह से ही प्रत्याशी परिजन अलग-अलग टोलियो में घर से निकल कर इस परंपरा का निर्वहन करते अभी नजर आ रहे हैं। पूरे दिन परंपरा का निर्वहन कर प्रत्याशी और उनके परिजन देर रात ही घर लौट रहे हैं। विधानसभा सीट पर प्रचार के तरीकों को देखे तो प्रत्याशी के घरवालों का महत्वपूर्ण योगदान नजर आ रहा है न केवल प्रचार, बल्कि पारिवारिक सदस्य पूरा चुनाव प्रबंधन भी संभाल रहे हैं। अपने-अपने गणित के हिसाब से मिनट दर मिनट का लेखा- जोखा पहले से ही तय किया जा चुका है। विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में अब सिर्फ दो हफ्तों से कम समय है। ऐसे में पारिवारिक सदस्य एवं इष्ट मित्रगण रातदि न एक कर रहे है। यही नहीं प्रत्याशी के भाषण मिजाज का अपने तरीके से ध्यान रख रहे हैं। विधानसभा को लेकर भाजपा और कांग्रेस का प्रचार धुंआधार दौर में पहुंच गया है। कद्दावर नेता शहर से लेकर गांव तक बिछ गए हैं। घर-घर जाकर जहां वोटरों से परंपरागत तरीके से संपर्क किया जा रहा है। पहले दौर का जनसंपर्क परंपरागत तौर पर ही देखने में आया है। आने वाले दिनों में प्रचार और तेजी पकड़ेगा। प्रत्याशी और उनके परिजन देर रात तक अपनी पार्टी के कार्यकर्ता के साथ कार्यालयों में पहुंच रहे हैं। एक बार फिर से यहां अगले दिन का जनसंपर्क और चुनावी गणित बिठाया जा रहा है। हालांकि भाजपा, कांग्रेस में आमने-सामने की टक्कर है। अपने आप को किसी से कम नहीं आंक रहे हैं।