हमें सिर्फ जाति से नहीं बल्कि कर्म से ब्राह्मण बनने की आवश्यकता

 

-सौ शिवालयों की पुस्तक ‘शतम् शिवम् सुंदरम्’ का विमोचन करते हुए शंकराचार्य मठ प्रभारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज के आशीर्वचन

ब्रह्मास्त्र इंदौर। भगवान शंकर के 100 प्रमुख मंदिरों की जानकारी देने वाली पुस्तक ‘शतम् शिवम् सुंदरम्’ का प्रकाशन अद्वितीय प्रयास है। भगवान शंकर आदिदेव हैं। अपने धर्म, कुल और गोत्र की जानकारी जिन्हें नहीं है, वे केवल नाम के ब्राह्मण हैं। हमें सिर्फ जाति से नहीं बल्कि कर्म से ब्राह्मण बनने की आवश्यकता है। शतम् शिवम् सुंदरम् में शिवालयों के साथ ही वंशावली को सम्मिलित कर लेखक पं. गायत्री प्रसाद शुक्ला ने स्तुत्य कार्य किया है।
एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर स्थित शंकराचार्य मठ में प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने यह बात पुस्तक ‘शतम् शिवम् सुंदरम्’ का विमोचन करते हुए अपने आशीर्वचन में कही। इस अवसर पर श्री कान्यकुब्ज विद्या प्रचारिणी सभा इंदौर के अध्यक्ष पंं. विष्णुप्रसादजी शुक्ला बड़े भैया विशेष रूप से उपस्थित थे। उन्होंने शिवालयों पर आधारित सचित्र पुस्तक को समय की आवश्यकता बताते हुए लेखक पं. गायत्री प्रसाद शुक्ला की प्रशंसा की।
कार्यक्रम में सभा के उपाध्यक्ष व ट्रस्टी पं. अनूप वाजपेयी अन्नू भैया, उपाध्यक्ष पं. दीपक शुक्ला, सहसचिव पं. रामचन्द्र जी दुबे, पं. अजय तिवारी, पं. अमरनाथ शुक्ला, पं. अजय दीक्षित, समाजसेवी एडवोकेट पं. आनन्द मिश्रा, समाजसेवी पूर्णलता दुबे बतौर अतिथि उपस्थित थे। समारोह में लेखक-स्तंभकार ओजस पालीवाल के साथ ही हनुमान प्रसाद शुक्ला, राहुल शुक्ला, हर्ष शुक्ला भी शामिल हुए। विमोचन के पूर्व पं. राजेश शर्मा के मार्गदर्शन में लेखक पं. गायत्री प्रसाद शुक्ला एवं उनके परिवार ने स्वस्तिवाचन एवं शंंखध्वनि के बीच डॉ. गिरीशानंदजी महाराज का पाद पूजन कर आरती उतारी।
लेखक श्री शुक्ला ने अपने संबोधन में बताया कि पुस्तक ने किस तरह आकार लिया। उन्होंने बताया कि पुस्तक का नामकरण पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा से हुआ है। इसके प्रकाशन की प्रेरणा समाजसेवी पं. रामचंद्र दुबे, वरिष्ठ पत्रकारद्वय पं. शैलेंद्र जोशी एवं पं. देवेंद्र शर्मा की प्रेरणा एवं सहयोग से हो सका। उन्होंने इस अवसर पर तीनों प्रबुद्धजन का सम्मान किया। पं. उमाशंकर चतुर्वेदी ने स्वस्ति वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन पं. शैलेंद्र जोशी ने किया। आभार समाजसेवी पं. रामचंद्र दुबे ने माना।

Author: Dainik Awantika