संपत्ति यदि सुख का माध्यम है तो ही अर्थ है- आचार्य जीवन

दैनिक अवन्तिका(उज्जैन) गुरुकुल का ब्रह्मचारी धर्म ऋत सत्य को जानने के बाद फिर अर्थ और काम की ओर प्रवृत्त होता था काम का अर्थ है संपत्ति का विनियोजन एक प्यासे व्यक्ति के लिए शीतल जल संपति है और रोगी के लिए औषधि संपत्ति है हमें शरीर मन इंद्रियों और आत्मा के सुख के साथ-साथ समाज के सुख को भी देखना होगा।उक्त विचार पूर्व प्रधान आचार्य जीवन प्रकाश आर्य ने महर्षि निर्वाण दिवस दीपावली पर आर्य समाज उज्जैन में व्यक्त किया। मुख्य अतिथि भीलवाड़ा आर्य समाज के प्रधान विजय शर्मा ने कहा की शारदीय नवसस्येष्टि दीपावली का पर्व वैदिक काल से मनाया जाता रहा है। कच्चे अन्य से मनुष्य को संतुष्टि नहीं होती है तब यज्ञ में परिपक्व हुआ अन्न हम संतुष्टि से ग्रहण करते हैं। पंडित राजेंद्र व्यास ने कहा की अपनी त्याग तपस्या और विधाता से महर्षि दयानंद ने ब्राह्मण कुल को सार्थक किया। हमें केवल ईश्वरी वाणी वेद का ही चिंतन करना चाहिए सुखदेव व्यास ने कहा कि यदि महर्षि को समझना है तो हमें सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ का पूरा स्वाध्याय करना होगा।ओम प्रकाश यादव ने कहा कि सामान्य व्यक्ति की मृत्यु होती है किंतु महापुरुषों का निर्वाण होता है केवल सनातन धर्म में ही सभी धर्म का और विचारधाराओं का सम्मान किया है। प्रारंभ में देव यज्ञ यज्ञ में वैदिक मत्रों से विशेष आहुतियां दी गई। अतिथियों का स्वागत ओम के उपवस्त्र से प्रधान सुरेश पाटीदार ने किया। ईश प्रार्थना डॉ हंसा चतुवेर्दी ने प्रस्तुत की। प्रेमसिह वर्मा ने भजन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ ललित नागर ने किया। आभार सचिव नवनीत सिकरवार ने व्यक्त किया। वैदिक जयघोष डा मालाकार द्वारा किया गया।प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।