इस बार बैकुंठ चतुर्दशी 25 नवंबर को महाकालेश्वर की आधी रात को सवारी
उज्जैन। महाकाल की सवारियां कार्तिक मास में निकलना शुरू होगी। एक सवारी वैकुंठ चतुर्दशी पर भी आएगी जो आधी रात को नगर में निकलेगी। इस बार वैकुंठ चतुर्दशी पर्व 25 नवंबर को आ रहा है। इस दिन रात में महाकाल की सवारी निकलेगी जो नगर भ्रमण कर गोपाल मंदिर पहुंचेगी। यहां हरि-हर मिलन होगा। इसलिए इस सवारी को हरि-हर मिलन सवारी के नाम से भी लोग जानते हैं। हरि हर मिलन की सवारी साल में एक बार रात में निकलती है जबकि महाकाल की श्रावण, भादौ, कार्तिक, अगहन मास में निकलने वाली सभी सवारियां दिन में निकाली जाती है। महाकाल मंदिर के पुजारी एवं मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य प्रदीप गुरु ने बताया कि वैकुंठ चतुर्दशी की रात में भगवान श्री महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर प्रजा को दर्शन देते हुए भगवान श्री हरि विष्णु से मिलने गोपाल मंदिर जाते हैं। यहां होने वाले हरि हर मिलन को देखने के लिए हजारों लोग उमड़तेे हैं। कार्तिक मास व अगहन मास में इस बार कुल चार सवारियां निकलेगी। वहीं एक सवारी आधी रात को आएगी जो हरिहर मिलन की होगी।
हर श्री हरि को सौंपने…जाते हैं सृष्टि का भार….
वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान महाकाल यानी हर हरि यानी विष्णु को सृष्टि का भार सौंपने जाते हैं। इस उत्सव के रूप में यह सवारी निकाली जाती है। इस दिन से सृष्टि का संचालन भगवान श्री हरि विष्णु के हाथ में आ जाता है। रात करीब 11 बजे महाकाल मंदिर से यह सवारी शुरू होती है और गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए रात 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंचती है। जहां अद्भुत हरि हर मिलन होता है।
गोपाल मंदिर में आधी रात को होता है अभिषेक-पूजन….
हरि हरि मिलन की सवारी गोपाल मंदिर पहुंचती है। इसके बाद भगवान महाकाल के स्वरूप को चांदी की पालकी से उतारकर गोपाल मंदिर के गर्भगृह में विराजित कर मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक-पूजन किया जाता है। इस दौरान हरि हर को व हर हरि को तुलसी व बिल्वपत्र की माला भी पहनाते हैं। इसके पश्चात आरती की जाती है व आधी रात में ही सवारी पुन: गोपाल मंदिर से महाकाल मंदिर पहुंचती है।