ठंडे बस्ते में आंगनबाड़ियों को विशेष बनाने की योजना, दो साल से कागजों में संवर रहे केंद्र
दैनिक अवंतिका
क्षेत्र में सरकारी ढर्रे पर किए जाने वाले गुणवत्ताहीन कार्यों के कारण उसका लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है। इसका एक उदाहरण ये है कि शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र की आंगनबाडियों को संवारने दो साल से प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन वे कागजों से बाहर नहीं निकल पाए हैं। हालात ये है कि कहीं बिल्डिंगों की दशा खराब है तो कहीं राशन ही नहीं मिल रहे। केंद्र स्मार्ट तो नहीं हो पाए उल्टा उनकी दुर्दशा हो गई।
बनाई गई थी योजना
दरअसल सारंगपुर परियोजना सहित जिले में आंगनबाडियों को संवारने एक योजना बनाई गई थी। नीति आयोग के माध्यम से भी इनके लिए अलग से फंड आया था। जिसमें आंगनबाडियों को स्मॉर्ट बनाने, निजी प्ले स्कूल की तर्ज पर तमाम कार्य करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन मौजूद आंगनाबाडियां झूठ नहीं बोलतीं, उनकी स्थिति को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे किस हद तक स्मॉर्ट हो पाई। न उनकी दशा सुधर पाई है न ही किसी ने उनकी सुध ली है। इसी के कारण सारंगपुर ब्लाक सहित शहर से कुपोषण का दंश दूर नहीं हो पा रहा है। आगनबाडी केंद्रों तक भी कुपोषित बच्चे नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिसके कारण पोषण पुनर्वास केंद्र खाली पडे है। इसका परिणाम यह है कि जिस मकसद से आंगनबाडी केंद्र खोले गए है यह पूरा होता ही नजर नहीं आ रहा है। स्मॉर्ट होना तो दूर केंद्र ढंग से संचालित नहीं हो पा रहे हैं।
यह होना थे कार्य, विभाग को सौपा था जिम्मा
योजना के तहत चिह्नित आंगनबाडी केंद्रों पर अलग से काम किया जाना था। उन्हें प्ले स्कूल की तर्ज पर संवारे जाने थे। साथ ही बच्चों के लिए विशेष पुस्तकें, खिलौने इत्यादि भी लिए जाने थे लेकिन अभी तक उनकी ओर किसी ने झांककर देखा भी नहीं। साथ ही चिह्नित आंगनबाडी केंद्रों पर सोलर पैनल लगाए जाना थे, जिसके माध्यम से पूरे समय वहां बिजली व्यवस्था रहेगी। स्मॉर्ट आंगनबाडी बनाई जाना थीं, जिसमें उसे संवारने का बीडा विभाग को सौंपा गया था।
जानिए क्या है केंद्रों की हकीकत
संवारना तो दूर आंगनबाडी केंद्रों की दशा की भी किसी ने सुध नहीं ली। स्थिति यह है कि कई जगह भवन नहीं है तो कई जगह किराये के भवन में आंगनबाडी संचालित हो रही है। स्मार्ट होना तो दूर ढंग से सफाई तक वहां नहीं हो पाती है। कई केंद्रों तक दुर्दशा के कारण बच्चे ही नहीं पहुंच पाते हैं, जिससे आंगनबाडियों की स्थिति और बिगडती गई। वहां न बच्चे समय पर पहुंचे न ही कुपोषित बच्चे। जिससे हर दिन आंगनबाडी केंद्रों की दशा बिगडती गई।
राशन की दिक्कत भी होती है परेशानी
जानकारी के अनुसार शहर सहित अंचल की आंगनबाडियों की स्थिति इतनी दयनीय है कि कहीं भवन की समस्या है तो कहीं व्यवस्थाएं बेहाल हैं। वहीं, अधिकतर जगह राशन ही नहीं मिल पा रहा है, जिससे खासी परेशानियां हो रही हैं। जो बच्चे केंदों तक पहुंचते हैं उन्हें राशन ही नहीं मिल पाता। जिससे हर दिन आंगनबाडी केंद्रों की दशा बिगडती जा रही है।
बोले जिम्मेदार
पूरे जिले में 13 प्रधानमंत्री विशेष आंगनबाडी है सारंगपुर में शायद 2 या तीन है। इसी प्रकार सांसद विशेष आंगनबाडी केंद्र है, और उन्हें बेहतर बनाने की प्रक्रिया चल रही है।
सुनीता यादव, डीपीओ, महिला बाल विकास विभाग, राजगढ।
हमने कुछ आंगनबाडियां चिह्नित की हैं, जिनमें काम भी शुरू हुए हैं। जल्द ही इसे और आगे बढाया जाएगा। यह पूरा प्रोजेक्ट प्रक्रिया में है। आंगनबाडियों बेहतर करने की दिशा में काम लगातार चल रहा है।
हर्ष दीक्षित, कलेक्टर, राजगढ।