महिला पुरुष का भेदभाव संविधान में नही : सुश्री शोभा पैठनकर
उज्जैन। मानव शिक्षा प्राप्त करके ही मनुष्य बनता है। शिक्षा के प्रभाव से वर्तमान समय में भारतीय महिलाएं अधिक जागरूक और जिज्ञासु हुई हैं।भारतीय महिलाएं विश्व पटल पर अनेक उपलब्धियां अर्जित कर रही हैं। भारतीय संविधान में महिला पुरुष का भेदभाव नहीं है । वह सभी को समान अवसर प्रदान करता है । परिवर्तन ही जीवन है,पूर्णता किसी में नहीं होती। भारतीय संविधान भी लचीली प्रकृति का है। इसमें समय अनुकूल परिवर्तन लोकतांत्रिक व्यवस्था में होते रहे हैं। महिलाओं को राजनीतिक आरक्षण दिए जाने का कानून वर्तमान संसद में पास हुआ है। भारतीय महिलाएं सशक्तता की ओर आगे बढ़ रही हैं। यह उद्गार शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास महिला कार्य की राष्ट्रीय संयोजक सुश्री शोभा पैठनकर ने महिलाओं के संवैधानिक अधिकार विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उज्जैन की महिला कार्य द्वारा आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री करुणा त्रिवेदी ने कहा की भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा और प्रभावशाली लिखित संविधान है। हमारे देश में हर प्रांत की भाषा और संस्कृति अलग-अलग है। संविधान के कारण प्रत्येक नागरिक को संरक्षण प्राप्त है। संविधान के कारण ही महिलाओं को हर दृष्टि से स्वतंत्रता ,सम्मान तथा समान अवसर और सुविधाएं प्राप्त हैं।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा महिलाओं के संवैधानिक अधिकार पर हुई गोष्ठी…
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि लीगल एड ऑफिसर चंद्रेश मंडलोई ने कहा कि भारतीय संविधान हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसमें संविधान सभा द्वारा गहन विचार विमर्श के बाद मौलिक अधिकार और कर्तव्यों को समाहित किया गया है। भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक के शरीर, संपत्ति और विधिक अधिकारों का संरक्षण करता है।संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए न्यास की महिला कार्य संयोजक डॉ प्रेरणा मनाना ने संविधान दिवस के अवसर पर कहा कार्यक्रम संयोजक डॉ प्रेरणा मनाना* ने कहा इस वर्ष की थीम जेंडर इक्वालिटी है।संविधान में आरंभ से ही महिलाओं को समानता का अधिकार देने में
प्रावधान दृष्टि से कोई कसर नहीं छोड़ी गई है परंतु व्यवहार दृष्टि से आज भी समानता के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है ।कारण है जानकारी का अभाव और जागरण की कमी।
इस गोष्ठी आयोजन का मुख्य उद्देश्य ही।अज्ञानता दूर करने का का प्रयास है..
अतिथि परिचय डॉ ममता त्रिवेदी, डॉ दीपाली मैदमवार एवम डॉ शकुंतला पांडे ने दिया। सरस्वती वंदना सुश्री रेखा भार्गव ने प्रस्तुत की।व्याख्यान उपरांत प्रश्नोत्तर सत्र में श्रीमती सुकीर्ति व्यास ,अंजना शुक्ला, शैलेंद्र गोठवाल,मंजू व्यास ने प्रश्न रखे और अ तिथियो ने समाधन कियासंचालन सुश्री माधुरी सोलंकी ने किया। आभार डॉ राकेश ढड ने व्यक्त किया।कार्यक्रम में मुख्य रूप से न्यास के मध्य क्षेत्र संयोजक डॉ जफर महमूद, डॉ राजेंद्र गुप्त, डॉ नीरज सारवान, डॉ शेखर मैदमवार,दीपक उपाध्याय, डॉ प्रिय अग्निहोत्री,रजनी पटेल,आदि उपस्थित थे।