अयोध्या मैं कडी सुरक्षा,चिड़िया के पर भी गिन लिए जायेंगे -जमीन आसमान और सरयू नदी में भी निगरानी शुरू
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित 30 दिसंबर के अयोध्या दौरे को लेकर खुफिया एजेंसीया अलर्ट हो गई हैं। अयोध्या क्षेत्र में जमीन आसमान और सरयू नदी में भी निगरानी शुरू कर दी गई है। अयोध्या में एनएसजी ,एटीएस के साथ- एसटीएफ के कमांडो को भी अयोध्या की धरती पर उतार दिया गया है।साथ ही सभी एजेंसियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए कड़ी सुरक्षा बंदोबस्त किए जा रहे हैं जिसके लिए तीन अपर पुलिस महानिदेशक ,17 पुलिस अधीक्षक ,40 अपर पुलिस अधीक्षक ,82 अपर पुलिस अधीक्षक ,90 इंस्पेक्टर ,325 सब इंस्पेक्टर ,33 महिला उप निरीक्षक 2000 सिपाही 450 ट्रैफिक पुलिस कर्मी, 14 कंपनी पीएसी तथा छा कंपनी अर्ध सैनिक सुरक्षा बल अयोध्या में तैनात किए गए हैं ।पूरी अयोध्या को छावनी के रूप में बदल दिया गया है अराजक तत्वों द्वारा गड बड़ी ,फैलाने की आशंका को देखते हुए सतर्कता अभी से बरती जा रही है इस दौरान भारी वाहनों को छोड़कर सामान्य वाहनों के लिए यातायात को सुचार रखने का फैसला पुलिस प्रशासन द्वारा किया गया है ।भारी वाहन पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से गुजरेंगे ।30 दिसंबर को प्रधानमंत्री अयोध्या के श्री राम हवाई अड्डे तथा अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन भवन का उद्घाटन करेंगे ।अयोध्या के धर्मपथ और राम पथ पर रोड शो भी आयोजित किया जाएगा। अयोध्या रेंज के पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार के अनुसार सरजू नदी में नाव के ऊपर पुलिस तैनात की जाएगी जो सरजू नदी में रात दिन गस्त करेगी घाटों पर जल पुलिस की भी व्यवस्था की गई है ।
अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी गई है। अयोध्या की सीमा पर आने वाले हर किसी व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है और उसके वाहनका नंबर भी नोट किया जा रहा है ।लखनऊ गोरखपुर फोर लेन मार्ग को 29 दिसंबर की मध्य रात्रि से 30 दिसंबर साइन 4: बजे तक बंद रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोहरे के कारण आज अयोध्या ना आ सके उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अयोध्या में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों से सभी कार्यक्रम स्थल की समीक्षा की है सूत्रों का कहना है कि 29 दिसंबर यानी कल मुख्यमंत्री अयोध्या के दौरे पर आने वाले हैं अयोध्या धाम में तैयारियां अंतिम चरण में है रैली स्थल पर भारी भीड़ जुटानेके लिए जनप्रतिनिधियों व पार्टी संगठन के नेताओं को अलग-अलग दायित्व सौंप दिया गया है जो गांव-गांव घूम कर रैली के लिए संसाधन मुहैया करा कर भीड़ जुटाएंगे।