20 साल से लेकर 50 साल तक को आ रहा है ‘साइलेंट अटैक’

उज्जैन। अमुमन अभी कई बार देखने या सुनने में आ रहा है कि लोग बैठे बैठे ही मौत के आगोश में समा जा रहे है। दरअसल चिकित्सकों के अनुसार यह साइलेंट अटैक है जो बीस वर्ष के युवा से लेकर पचास साल तक के व्यक्ति को आ रहे है। बीते कुछ दिनों से इस तरह के मामले कुछ ज्यादा ही सामने आ रहे है।
– एक छात्र क्लास में खड़ा था. अचानक से गिर गया.
– एक पेंटर अपना काम करके एक बाल्टी पर जाकर बैठा. लेकिन कुछ देर बाद उस पर से गिर गया.
– एक आदमी परिवार के साथ बाहर खाना खाने गया, लेकिन खाना आने से पहले टेबल पर गिर गया.
– एक  प्रोफेसर स्टेज पर लेक्चर दे रहे थे, उसी समय मंच पर गिर गए.
– एक युवक क्रिकेट मैच खेल रहा था, रन लेते वक्त गिर गया.
इन सबकी मौत हो चुकी है. सबकी मौत का कारण एक ही है. महज़ हार्ट अटैक नहीं, साइलेंट अटैक. ये साइलेंट अटैक होता क्या है? ये हार्ट अटैक से कितना ज़्यादा खतरनाक होता है? कैसे अलग होता है?   क्टरों का कहना है कि -साइलेंट अटैक को साइलेंट मायोकॉर्डियल इन्फार्क्शन (एसएमआई) भी कहते हैं. हार्ट अटैक और साइलेंट अटैक में सिर्फ लक्षण का ही फर्क ही रहता है. साइलेंट अटैक में लक्षण ना के बराबर होते हैं. इसी वजह से मरीज को कुछ पता नहीं चल पाता है.

क्या लक्षण होते हैं?
1. हल्की मात्रा में सीने में दर्द उठना;
2. हल्का पसीना आना (आपको लगेगा की गर्मी की वजह से आया है);
3. पाचन क्रिया में दिक्कत होना;
4. छाती में हल्की जलन;

कभी-कभी एसिडिटी के चलते छाती में हल्का दर्द महसूस होता है. साइलेंट अटैक के दौरान भी इसी तरह का दर्द होता है.
कैसे बचा जा सकता है?  
बताया कि चूंकि साइलेंट अटैक के लक्षण नहीं होते, तो इसके बारे में पता चल पाना बहुत मुश्किल है. इसलिए मरीज का जागरूक होना बहुत जरूरी है. इसलिए समय-समय पर ECG,  ECHO और ब्लड टेस्ट करवाने चाहिए. हार्ट अटैक/साइलेंट अटैक के मुख्य कारण ये रहे –
– धूम्रपान;
– हाई ब्लड प्रेशर;
– शुगर की बीमारी;
– शराब का रोज सेवन;
– जंक फूड;
– तला हुआ खाना;
– शरीर को एक्टिव न रखना (चलना-फिरना कम करना); और
– एकदम से रूटीन चेंज करना.

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