लोकसभा प्रत्याशी :भाजपाई तरकश में युवा,महिला,अनुभवी जैसे अनेक तीर संगठन तय करेगा कि फिर से वहीं चेहरा या फिर इस बार मोदी सरकार के लिए नया युवा ,महिला प्रत्याशी होगी

दैनिक अवंतिका उज्जैन। देश भर में एक बार फिर मोदी सरकार, अबकी बार 400 पार का नारा दे रही भाजपा के पास उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र के लिए दावेदारों की कमी नहीं है। भाजपा के पास युवा महिला,अनुभवी जैसे एक नहीं अनेक कद्दावर नेता हैं जो जमीन की राजनीति से जुडे हैं और धरातल से उन्होंने सियासत का अंक गणित सीखा है तो सामाजिकता में भी वे अपनी छाप रखते हैं। श्री राम मंदिर निर्माण के बाद इस संसदीय क्षेत्र में पार्टी को मतदाताओं में सरप्लस मिला है जिसका लाभ सीधा सीधा कमल निशान को मिलेगा।उज्जैन –आलोट संसदीय क्षेत्र में उज्जैन जिला की 7 विधानसभा क्षेत्र के साथ रतलाम जिला की आलोट विधानसभा क्षेत्र शामिल है। अजा आरक्षित वर्ग की इस लोकसभा सीट पर भाजपा की गहरी पकड रही है। यही कारण रहा कि भाजपा से डा. सत्यनारायण जटिया ने यहां से एक नहीं अनेक बार प्रचंड जीत का वरण किया।ये चेहरे हैं इस बार के दावेदार-अनिल फिरोजिया-पेतृक रूप से राजनीति में आए अनिल तराना विधानसभा हारने के बाद संगठन के आदेश पर संसदीय चुनाव में जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे थे। तराना में अच्छी पैठ होने के बावजूद सबोटेज के कारण उन्हें हार का मूंह देखना पडा तो संगठन ने उन्हें संसदीय चुनाव का अवसर उपलब्ध करवा कर अपना विश्वास जताया था। इस बार उनके लिए माईनस पाईंट यह है कि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव से उनका समन्वय अभाव रहा है। उनके सहयोगी पुनीत जैन का नाम किसानों की जमीन के घोटाले में केसीसी कांड में रहा है।डा.प्रभूलाल जाटवा-जाटवा पूर्व में घट्टिया से विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इसके बाद वे उज्जैन विकास प्राधिकरण में मनोनीत उपाध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री के विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष रहने के दौरान बोर्ड में उनका समन्वय रहा है। डा. यादव से उनकी नजदीकी रही है। संगठन में सक्रियता के साथ ही अजा मोर्चा एवं तमाम पदों पर रहे हैं । बैरवा समाज से आते हैं। पार्टी ने अगर युवा नीति पर विचार किया तो उनके लिए माईनस पाईंट रहेगा।संजय कोरट-भाजपा ने अगर इस बार समाज की तब्दीली करने का मन बनाया तो वाल्मिकी समाज से सबसे युवा चेहरा संजय कोरट के रूप में उनके सामने रहेगा। उनके राजनैतिक जीवन की शुरूआत मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने पार्षद पद से करवाई थी, डा.यादव से उनकी नजदीकी जगजाहिर है। पार्षद पद पर उन्होंने जमकर अपनी विचारधारा का उपयोग कर लोकहित के कामों को अंजाम दिया था। मजदूर संघ नेता एवं सफाई कामगार आयोग के पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र कोरट के सुपुत्र होने का लाभ उन्हें मिल सकता है। वाल्मिीक समाज को भाजपा संगठन से पिछले कई चुनावों से विधानसभा एवं लोकसभा में उम्मीद रही है। इस बार भी इसी उम्मीद के चलते यह दावेदारी है। उनके लिए माईनस यह है कि उनकी भाभी पार्षद चुनाव हार गई थी। राजकुमार जटिया-पेतृक रूप से राजनीति में आए राजकुमार जटिया मूल रूप से रविदास समाज से आते हैं। वे पूर्व सांसद डा.सत्यनारायण जटिया के छोटे पूत्र हैं। उज्जैन –आलोट संसदीय क्षेत्र में सक्रिय राजनीति में पैठ रखते हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और उनके परिवार से इनकी काफी नजदीकियां हैं। माईनस पाईंट यह है कि उनकी दावेदारी को लेकर पूर्व सांसद डा.जटिया का रूख अभी साफ नहीं है। शोभाराम मालवीय-ग्रामीण स्तर से अपनी राजनीति की शुरूआत करने वाले मालवीय जमीनी नेता हैं। जनपद के बाद जिला पंचायत स्तर पर सदस्य हैं। मुख्यमंत्री डा.यादव के कट्टर समर्थकों में हैं। बलाई समाज से आते हैं जिनके मतदाता जिले एवं संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक बताए जाते हैं। माईनस – शहरी स्तर पर ज्यादा पकड नहीं है।सुरेश गिरी-पूर्व सांसद समर्थक एवं बैरवा समाज से संबंधित गिरी संगठन में लंबे समय से सेवाएं दे रहे हैं। मुक्त भाव से संगठन के लिए उनकी सेवाएं रही हैं। वर्तमान में नगर महामंत्री हैं। इससे पूर्व भी वे संसदीय चुनाव में अपनी दावेदारी कर चुके हैं। सतीश मालवीय पेतृक रूप से राजनीति में आए मालवीय दुसरी बार विधायक हैं। जिले में उग्रपंथी नेता के तौर पर उन्हें देखा जाता है। पूर्ण प्रभाव की राजनीति में शुमार हैं। पार्टी के ही कुछ नेताओं के साथ उनके विवाद रहे हैं। आर्थिक मामलों के चलते विवादित रहे हैं। मुख्यमंत्री डा.यादव के नजदीकी है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने पून: अवसर दिया है। बलाई मतदाता बाहुल्य समाज से आते हैं।डा.चिंतामन मालवीय-उच्च शिक्षित डा.चिंतामन मालवीय पूर्व में एक बार सांसद रह चुके हैं। विक्रम विश्वविघालय के दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक पद से वे संसदीय चुनाव लडे थे। वर्तमान में वे आलोट के विधायक हैं। वे संघ नेताओं से नजदीकियां और पसंद माने जाते हैं। संगठन ने एक संसदीय कार्यकाल के बाद उन्हें रेस्ट देते हुए हाल के विधानसभा चुनाव में अवसर दे दिया।मीना जोनवाल-संगठन ने अगर महिला नेतृत्व को प्राथमिकता दी तो ऐसी स्थिति में पूर्व महापौर मीना जोनवाल की दावेदारी दमदार रहने वाली है। वे तेजतर्रार नेत्री की छवि रखती हैं। उच्च शिक्षित होने के साथ ही उन्हें प्रशासकीय कार्य व्यवहार की अच्छी पकड हैं। माईनस स्थिति में उनके कार्यकाल में अतिक्रमण के मामले इंगित किए जाते हैं जिन पर वे नियंत्रण नहीं करवा सकी ।सत्यनारायण खोईवाल-जमीनी कार्यकर्ता से वर्तमान में नगर महामंत्री का सफर इन्होंने तय किया है। अच्छे वक्ता के रूप में संगठन में स्थान बनाया है। खटिक समाज से आते हैं। निजी स्कूल में शिक्षक रहे हैं। विवाह में क्रांतिकारी कदम उठाया। पूर्व विधायक पारस जैन से नजदीकी रही है। लंबे समय से संगठन की सेवा में सक्रिय भूमिका रही है।

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