खुसूर-पुसूर नैतिकता का हास…धर्म नगरी में जैसे-जैसे व्यवसायिकता बढती जा रही है

दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र खुसूर-पुसूर नैतिकता का हास…धर्म नगरी में जैसे-जैसे व्यवसायिकता बढती जा रही है नैतिकता का हास होता जा रहा है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा धर्म नगरी में कुछ इसी रूप में सामने आ रहा है। यह सही है कि जहां व्यवसायिकता घर कर जाती है वहां नैतिकता का पतन होता ही है। यही सब देखा और सूना जा रहा है। निरंतर रूप से सामने आ रहा है कि महाकाल की नगरी में भगवान के दर्शन, भस्मार्ती के लिए तीर्थाटन करने वालों से आनलाईन ठगी हो रही है। शहर में आने वाले श्रद्धालुओं से कतिपय आटो, ई-रिक्शा वाले ठगी कर रहे हैं। कतिपय लाज-होटल,गेस्ट हाउस वाले अपने हिसाब से श्रद्धालुओं की जेब को फटका लगा रहे हैं। कतिपय खान-पान की दुकान वाले अपने हिसाब से चुना लगा रहे हैं। और तो और भगवान की प्रसादी के लड्डू बाजार में कुछ दुकानदार ले जाकर उनकी साईज छोटी कर उसे प्रसादी का नाम देकर दोगूनी राशि कमाने से भी नहीं चुक रहे हैं। उज्जैन का मेहंदी और कुंकुं देश भर में प्रसिद्ध है। कतिपय विक्रय करने और बनाने वालों ने इसमें भी मिलावट कर दी है। इसमें भी श्रद्धालुओं को चुना लगाने से बाज नहीं आया जा रहा है। बाहर का श्रद्धालु देखकर कतिपय ऐसे ही लोग नैतिकता को ताक में रखकर जमकर वसूली कर रहे हैं। यहां तक की बाहर से आए श्रद्धालुओं के साथ शौचालय उपयोग का भी पैसा वसूला और दुगना लेने से नहीं चुका जा रहा है। खुसूर-पुसूर है कि पूर्व में जिला प्रशासन ने इसके लिए कार्रवाई शुरू की थी। यह कार्रवाई कुछ दिनों चलने से ऐसे ही तत्वों में एक डर की स्थिति बनी थी। वर्तमान में वह भी गायब हो गई है और कतिपय नैतिकता को ताक पर रख चुके लोग जमकर वसूली कर रहे हैं। इसके लिए प्रशासन को आधारभूत काम करना बहुत आश्यक प्रतित हो रहा है। जिसमें आकस्मिक ऐसे स्थानों की जांच,श्रद्धालुओं से किराए की जानकारी लेना,आकस्मिक रूप से इ-रिक्शा,आटोरिक्शा और अन्य ऐसे ही संबंधित मुद्दों को श्रद्धालुओं से टटोलना न कि किसी शिकायत का इंतजार करना जैसे काम करने होंगे।

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