इंस्पिरेशनल यूथ : इंसानियत अभी जिन्दा है
उज्जैन। इंसान को तो इंसान बनकर ही रहना चाहिए क्योंकि बहुत अच्छे कर्म करने पर ही मनुष्य की योनी मिलती है ऐसा धर्म ग्रंथो मे उल्लेख है। कुछ लोग न धर्म से सीखते हैं न ही इंसानियत रखते है बल्कि इंसान की शक्ल मे हैवान होते हैं। अभी कुछ दिनो पूर्व ही एक घटना बाबा महाकाल की नगरी मे घटित हुई जिसमे आदर्शनगर के दो दरिंदो ने एक बेजुबान श्वान को इतनी बेरहमी से पीटा की इसका वायरल विडिओ देखने पर रूह कांप उठी। बेजुबान श्वान का अपराध ये रहा कि वो गली मे देर रात आनेवाले लोगों पर भौंकता था। एक कुत्ते का जन्मजात नैसर्गिक गुण भौंकना ही होता है फिर ये अपराध कैसे हुआ। तकलीफ यह रही कि इसे डंडे से मारनेवाले दोनो युवक देर रात आते थे और ये श्वान उनको देखते ही जोर जोर से भौंकता था। इसे बड़ा जुर्म मानकर बेचारे कुत्ते को पाइप व डंडे से इतना पीटा कि वह मरणासन्न हो गया। ऐसे मे कुत्ते से हमदर्दी रखने वाले वहीं के रहवासी अमन सिद्दिकी ने पेट्स लवर्स की सहायता से उसकी जान बचाने के लिए प्रयास किए।
बचाने मे जुटे पेट लवर्स
पहले तो शहर के पेट लवर्स ने लहूलुहान कुत्ते के घाव पर मरहम पट्टी की वह उसे लेकर नानाखेडा मे रहनेवाले पशुप्रेमी पेट शाॅप चलाने वाले युवक धर्मेन्द्र धाकड के पास लेकर गए। धर्मेन्द्र धाकड ने दैनिक अवंतिका को बताया कि ये डाॅगी मरणासन्न था। मैने इसको स्लाइन चढाई और मरहम पट्टी की। पांच दिन तक इसे ग्लुकोज से ही जिन्दा रखा फिर अब ये थोडा दूध व तरल भोजन मुंह से ले पा रहा है। कुत्ता पिटाई के बाद बहुत डरा सहमा था किन्तु प्यार व सहानुभूति के द्वारा इसे सामान्य अवस्था मे लाया गया। खुशी इस बात की है कि शहर के पेट लवर्स की मेहनत रंग लाई और एक बेजुबान असमय ही कालकवलित होने से बच गया।
जागरूकता बहुत जरूरी
इस तरह बेजुबान पशुओ पर मनुष्य द्वारा किए गए जघन्य अपराधो को रोकने के लिए समाज मे जागरूकता बहुत जरूरी है तभी हम स्वस्थ सुसभ्य समाज के होने का दंभ भर सकते हैं। ये धरती सभी प्राणियों का प्राकृतिक निवास स्थान है फिर अपने स्वार्थ के चलते हम मूक पशुओ पर अत्याचार कैसे कर सकते हैं। इस केस मे आदर्शनगर निवासी अमन भाई ने जागरूकता का परिचय देते हुए श्वान को मारनेवाले दोनो लोगो राहुल दायमा और भगवानसिंह के खिलाफ नागझिरी पुलिस थाने मे शिकायत की और एफ आई आर लिखवाई जिसके चलते पुलिस ने दोनो को गिरफ्तार किया है। पशु क्रूरता अपराध अधिनियम के अनुसार ऐसे अपराध सिद्ध होने पर तीन से पांच साल तक की कैद का प्रावधान है।सुकूनदायी ये रहा कि जागरूक शहरवासियो के कारण एक बेजुबान की जान तो बची ही साथ ही इन पर जुर्म करनेवालो को सबक भी मिला।
रिपोर्ट राहुल शुक्ल