राजनीति के सबसे बड़े केंद्र इंदौर सहित अन्य जिलों में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नही
लोकसभा चुनाव में भारी फजियत, भाजपा के मैदानी नेताओ और कार्यकर्ताओ का मनोबल गिरा
इंदौर। भाजपा केडर बेस्ड पार्टी होकर अपने कार्यकर्ताओं को हमेशा आगे रखकर कार्य करती रही है, परंतु विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में जिस तरह दल बदल की श्रंखला चल रही है। उससे अधिकतर भाजपा नेता नाराज दिखाई दे रहे है।
इधर कांग्रेस की आपसी अनबन के बाद विशाल पटेल और संजय शुक्ला के भाजपा में प्रवेश के बाद स्थिति ऐसी हो गई है कि इंदौर से अब कोई बड़ा नेता चुनाव लड़ना नहीं चाहता। भंवर सिंह शेखावत ने इंदौर से चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया है। जीतू पटवारी लोकसभा चुनाव लड़ने का रिस्क नहीं लेना चाहते। ऐसे में कांग्रेस उन नेताओं पर दाव लगा सकती है, जिन्हें विधानसभा का टिकट कमजोर जनाधार होने के कारण नहीं दिया गया। ऐसे नेताओं में अक्षय कांतिलाल बम, स्वप्निल कोठारी और अरविंद बागड़ी शामिल हैं।
यह तीनों नेता क्रमशः विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4, 5 और 3 में टिकट मांग रहे थे। तब पार्टी की ओर से कहा गया कि सर्वेक्षण के अनुसार आप जीत नहीं सकते। लेकिन अब कांग्रेस की हालत यह है कि इन्हीं तीनों को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मनाया जा रहा है। इनमें से स्वप्निल कोठारी तो कमलनाथ के साथ एक पांव पर भाजपा में उन्होंने कमलनाथ की भाजपा में जाने को लेकर चल रही अटकलों के दौरान भाजपा में जाकर जश्न मनाने की तैयारी भी कर ली थी। जमीन और अन्य आर्थिक घोटालों में फंसे अरविंद बागड़ी को कांग्रेस के लोग ही फूल छाप कांग्रेसी मानते हैं।
ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इंदौर से लोकसभा का चुनाव कौन लड़ता है ? बहरहाल, विशाल पटेल, संजय शुक्ला और गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी के भाजपा में आने से इंदौर की देपालपुर और क्षेत्र क्रमांक एक तथा धार की मनावर और धरमपुरी सीट पर कांग्रेस को सीधा नुकसान होगा। विशाल पटेल एक बार के विधायक हैं। जबकि उनके पिता जगदीश पटेल दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा के पास लंबे समय तक देपालपुर विधानसभा सीट पर कलोता राजपूत समाज का नेता नहीं था।
उमराव सिंह मौर्य कुछ समय पहले तक भाजपा में कलोता नेता के रूप में पहचान रखते थे लेकिन विधानसभा चुनाव के पूर्व वो भी कांग्रेस में चले गए थे। देपालपुर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 70,000 मतदाता कलोता राजपूत समाज से आते हैं। विशाल पटेल के आने से भाजपा को इस समुदाय से मजबूत और साधन संपन्न नेता मिल गया है।
विशाल पटेल के कांग्रेस छोड़ते ही जीतू पटवारी ने तत्काल मोती सिंह पटेल को कांग्रेस में ले लिया जिन्हें विधानसभा चुनाव के दूसरे दिन ताबड़तोड़ तरीके से सेबोटेज के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। वैसे मोती पटेल के अलावा इस विधानसभा क्षेत्र पर अब सत्यनारायण पटेल की भी निगाह रहेगी। इसी तरह कांग्रेस को क्षेत्र क्रमांक एक में जबरदस्त नुकसान होगा।
संजय शुक्ला ने अपने साधनों और बलबूते पर कांग्रेस को वहां खड़ा किया था। उनके भाजपा में आने से विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक कांग्रेस के लिए मुश्किल सीट हो गई है। इस सीट पर पूर्व विधायक स्वर्गीय रामलाल भल्लू यादव का परिवार जरूर सक्रिय है, लेकिन यादवों का प्रभाव बाणगंगा के दो- तीन वार्डों तक ही सीमित है।
इसी तरह धार के तीन बार सांसद और मनावर से विधायक रहे गजेंद्र सिंह राजू खेड़ी के भाजपा में आने से मनावर और धरमपुरी दोनों विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को नुकसान होगा। गजेंद्र सिंह राजू खेड़ी ने 1990 में भाजपा के टिकट पर मानवर से चुनाव जीता था। उस चुनाव में उन्होंने दो बार उपमुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय शिवभानु सिंह सोलंकी को हराया था।
राजू खेड़ी बाद में कांग्रेस के टिकट पर 1998, 99 और 2009 में धार संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। दिलचस्प यह है कि शनिवार को हुए दल बदल के कारण कांग्रेस भले ही कमजोर हुई हो लेकिन भाजपा के अधिकांश मैदानी नेता और कार्यकर्ता नाखुश है।