खुसूर-फुसूर
दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र बुलेटिन
खुसूर-फुसूर
ये कैसा प्रबंधन… में कुछ शासकीय विभागों में धन के साथ ही मानव संसाधन का प्रबंधन गडबडाया हुआ है। विभाग ही नहीं मंदिर में भी यही हाल हैं। शासकीय विभागों में ठेके के कर्मचारियों से काम चलाने में भी जरूरत से ज्यादा का उपयोग कई कामों में किया जा रहा है तो ठेके की सुरक्षा में भी कर्मचारियों की संख्या काम से कहीं अधिक की सामने आ रही है। ऐसे मामलों में धन के साथ ही मानव संसाधन प्रबंध को लेकर हाल बेहाल हैं। ऐसा नहीं है कि इन मामलों को लेकर जिला और संभाग प्रमुखों को इसकी जानकारी न हो । शिक्षा विभाग के ही कई शिक्षक और बाबू प्रशासन के कामों में लगे हैं। एक काम के लिए कई स्थानों पर तीन –तीन कर्मचारियों का उपयोग किया जा रहा है। तृतीय श्रेणी तक तो यह मामला समक्ष आता है लेकिन द्वितीय स्तर पर बात आए तो यह समझ से परे जाता है और तो और ऐसा मामला कम ही देखने में आता है। पर ढोर पालन विभाग की प्रदर्शनी में वो भी सामने आ गया। खुसूर-फुसूर है कि आचार संहिता लागू होते ही अब निर्वाचन आयोग के तहत कर्मचारी अधिकारी आ चुके हैं। आगे भी शासकीय विभागों में धन और मानव संसाधनों का दुरूपयोग जारी रहेगा या फिर सदुपयोग और सुधार की और जोर रहेगा।