सरकारी स्कूलों में कैसे बनेगा विद्यार्थियों का भविष्य… शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूल….एक ही शिक्षक को पढ़ाने पढ़ रहे चार-चार विषय
उज्जैन। उज्जैन जिले में संचालित होने वाले सरकारी स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भोपाल का भी दरवाजा कई बार खटखटाया है लेकिन बताया जा रहा है कि बीते तीन-चार सालों से शिक्षकों का टोटा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है और ऐसी स्थिति में एक ही शिक्षक को चार-चार विषयों को पढ़ाने का बोझ है।
सवाल अब यह उठता है कि स्कूली शिक्षा विभाग के अधिकारी भी यह स्वीकार करते है कि विशेषकर ग्रामीण अंचलों में शिक्षकों की कमी बहुत अधिक है। कई बार तो यह स्थिति बन जाती है कि यदि कोई शिक्षक छुट्टी पर रहता है तो उसकी जगह कोई दूसरा शिक्षक पढ़ाने के लिए तैयार नहीं रहता है क्योंकि पहले से ही उस शिक्षक के पास चार-पांच विषय होते है। हालात यह हो जाते है कि जब तक संबंधित विषय का शिक्षक स्कूल नहीं आ जाता तब तक उस विषय की पढ़ाई ही नहीं हो पाती है।
जिले की स्थिति जिले में 101 शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल हैं, जिनमें विषयवार शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से करीब पांच सौ से अधिक पद रिक्त पड़े हुए है। 718 माध्यमिक स्कूलों में विषयवार शिक्षकों के स्वीकृत पदों के विरुद्ध पद रिक्त पड़े हुए है । जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है वहां संकुल स्तर से शिक्षकों को अटैच कर और अतिथि शिक्षकों को रख कर शिक्षकों की पूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है। पोर्टल पर कई प्रधानाध्यापकों और प्राचार्यां ने सही एंट्री नहीं की, जिसके कारण संबंधित स्कूलों में शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने या निधन होने के बाद भी रिक्त हुए पदों की जानकारी ही प्रदर्शित नहीं हो पा रही है। हालांकि अभी परीक्षाएं खत्म हो गई है और शिक्षा विभाग के अफसरों को उम्मीद है कि नवीन शिक्षा सत्र में कुछ हद तक शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी, लेकिन बताया जा रहा है कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया ही आगे नहीं बढ़ेगी तो शिक्षकों की कमी दूर कैसे हो सकेगी।
इनका कहना है
शिक्षकों की कमी है और शिक्षण कार्य करने में निश्चित ही परेशानी आती ही है। ग्रामीण अंचलों में शिक्षकों की कमी अधिक है। भोपाल भी पत्र लिखे जा चुके है।
गिरीश तिवारी, एडीपीसी