जिसके नाम पर करोड़ो खर्च…उनका ही ह्णडोल रहा सिंहासनह्ण
विक्रम टीले की बदहाल स्थिति..उखड़ रहे पत्थर….सफाई भी नहीं
उज्जैन। जिस सम्राट के नाम पर सूबे की सरकार करोड़ो रूपए खर्च कर रही है और जिला प्रशासन भी सरकार के साथ मुस्तैदी के साथ जुटा हुआ है लेकिन उन्हीं सम्राट का ह्णसिंहासन डोलताह्ण हुआ दिखाई दे रहा है।
यहां बात हो रही है रूद्रसागर परिसर स्थित विक्रम टीले की, जहां बीते सिंहस्थ के दौरान सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा सिंहासन के साथ ही बत्तीस पुतलियों की प्रतिकृति बनाई गई थी लेकिन यह स्थान फिलहाल बदहाल हो रहा है। यहां न तो सफाई की समुचित व्यवस्था है और न ही जिम्मेदारों का ध्यान जा रहा है इतना ही नहीं बल्कि सिंहासन के पत्थर बाहर निकल रहे है वहीं पुतलियां भी क्षतिग्रस्त होने की कगार पर पहुंच गई है। सिंहस्थ 2016 के दौरान शहर में हुए विकास कार्यों के साथ ही विक्रम टीले की भी दशा सुधारी गई थी और यहां सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा मय सिंहासन के साथ स्थापित की गई थी वहीं सम्राट के दरबार के उल्लेखित नवरत्नों और बत्तीस पुतलियों की प्रतिकृतियां स्थापित हुई थी। कुल मिलाकर इस स्थान की सूरत बदल दी गई थी और यह पर्यटकों के लिए ही नहीं बल्कि शहरवासियों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बना हुआ रहा। छुट्टियों में इस स्थान पर घूमने वालों की भी कमी नहीं रही लेकिन बीते कुछ दिनों से यह स्थान उपेक्षा का शिकार होता हुआ दिखाई दे रहा है।
चार करोड़ हुए थे खर्च
बता दें कि सिंहस्थ 2016 के दौरान सिंहस्थ मद से चार करोड़ की राशि विक्रम टीले के सौंदर्यीकरण के लिए खर्च हुई थी। इसमें अनूठा आर्च ब्रिज तैयार किया गया था वहीं पच्चीस फीट ऊँचे प्रशस्ति स्तंभ में बत्तीस पाषाण पुतलियां स्थापित की गई और विक्रम टीले पर स्थापित विक्रमादित्य की प्रतिमा के सामने पच्चीस फीट ऊंचाई का प्रशस्ति स्तंभ भी स्थापित किया गया। लेकिन मौजूदा स्थिति में यह सब उपेक्षित दिखाई दे रहा है। यहां न केवल सिंहासन के पत्थरउखड़ रहे है वहीं पुतलियों की प्रतिमाएं भी दरक रही है।
विक्रमोत्सव पर करोड़ो का खर्च हुआ लेकिन….
गौरतलब है कि सम्राट विक्रमादित्य की स्मृति में प्रदेश सरकार द्वारा विक्रमोत्सव का आयोजन किया जा रहा है और उज्जैन का गौरव दिवस भी मनाया जा रहा है वहीं अन्य विभिन्न कार्यक्रम भी संपन्न किए गए। इन सभी में करोड़ो का खर्च किया गया लेकिन न तो किसी जनप्रतिनिधि का या न ही किसी जिम्मेदार अधिकारियों का ही ध्यान इस विक्रम टीले की तरफ जा सका।