इंदौर एयरपोर्ट पर फ्लाइट लेट होने पर यात्रियों को नही होने देंगे बोर

 

हरियाली दिखाकर कराएंगे मनोरंजन , दिखेगा शहर का डेवलपमेंट

 

 

इंदौर । अगर अब इंदौर शहर से बाहर जाने के दौरान अपनी फ्लाइट में देरी हो जाए तो चिंता छो- ड़िए, एयरपोर्ट के सामने वन विभाग आपको शानदार ग्रीनरी के दीदार करवाएगा। इसके लिए वन विभाग एयरपोर्ट के सामने अपनी खाली पड़ी अपनी जमीन पर इस साल बारिश के सीजन में जल्द शहर का दूसरा सिटी फॉरेस्ट बनाने जा रहा है।
वहीं खास बात यह है कि यहां 50 से ज्यादा अलग तरह के ऐसे पौधें होंगे जो या तो विलुप्त हो चुकें है या अब धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर पहुंच रहें है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यहां अलग अलग किस्म के सैकड़ों पेड़ पौधे लगाए जा रहें है, जो या तो खत्म होने की कगार पर है या अब धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे है।
यही नहीं करीब 17 हेक्टेयर की वन भूमि में हरियाली के साथ एक छोटा तालाब भी बनाया जाएगा। वहीं इस पूरी जमीन को विभाग तार फेंसिंग की बजाय बांस लगाकर चारों और से कवर्ड करेगा। वहीं बड़ी बात यह होगी कि अलग- अलग प्रजाति के बांस वन विभाग अपनी जमीन की बाउंड्री पर लगाएगा। वैसे तो यह मनोरंजन केंद्र सभी के लिए
रहेगा ,लेकिन खास तौर पर एयरपोर्ट पर जिन यात्रियों की फ्लाइट में देरी होगी वे यात्री यहां रुक सकेंगे। साथ ही प्रदेश के जंगलों के बारे में भी जानकारी ले सकेंगे।
वन विभाग के अफसरों का कहना है विभाग अपनी बेस कीमती जमीन पर कब्जे और अतिक्रमण रोकने के लिए यहां बांस और हर्बल के आउटलेट भी लगाएगा। वैसे तो यहां का मनोरंजन केंद्र सभी के लिए बनेगा लेकिन खास तौर पर जिनकी फ्लाइट में देरी होगी उन यात्रियों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। अफसरों का कहना है पहले भी जमीन के कुछ हिस्से में पेड़ पौधे लगाए गए थे, लेकिन अब विभाग का कहना है यहां अतिक्रमण न हो इसलिए बारिश के इस सीजन में ही विभाग ने यहां इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। ताकि यहां चारों और जबरदस्त ग्रीन री नजर आए।
वन विभाग के आधिकारियों के मुताबिक सिटी फारेस्ट की जमीन पर सलाई, बीजा, शीशम, कुसुम, गरुड़, कुल्लू, धावड़ा, अमलतास, कदम्ब, कल्पवृक्ष, बिल्बपत्र, रुद्राक्ष जैसी प्रजातियां लगाई जाएंगी, जो जंगलों में अब खत्म सी होने लगी है। सलाई के पेड़ से माचिस की तीली भी बनाई जाती है। कुल्लू से गोंद बनता है।
कल्पवृक्ष की उम्र बरगद, पीपल से भी अधिक होती है। मांडू की प्रसिद्ध इमली भी इसे ही कहा जाता है। वहीं शीशम भी पुराना हो जाता है। उसकी लकड़ी भी काम आती है।

छोटी नर्सरी भी होगी तैयार

वहीं विभागीय अफसरों का कहना है कि वन विभाग यहां एक छोटी नर्सरी भी खोलेगा। जहां लोग यहां से 15 से 20 रूपए में अपनी पसंद के पौधे भी खरीद सकेंगे। पारिजात, गिलोय, जाम, आम, जामुन, बरगद, पीपल, बादाम के पौधें यहां रखने की विभाग की प्लानिंग है।