– भीषण गर्मी में पैदल निकले, प्रशासन के भी इंतजाम

 दैनिक अवंतिका उज्जैन। परंपरा अनुसार तो उज्जैन में वैशाख कृष्ण दशमी यानी 3 मई शुक्रवार से पंचक्रोशी यात्रा शुरू होना है। लेकिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दो दिन पहले ही बुधवार से उज्जैन आना शुरू हो गए और कई तो पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर से बल लेकर यात्रा भी शुरू कर दी।

प्रशासन ने भी यात्रियों को देखते हुए मार्ग पर मौर्चा संभाल लिया है। इस बार अफसरों ने पहले ही सारे इंतजाम कर रखे थे ताकि एन वक्त पर दौड़ना न पड़े। क्योंकि हर साल श्रद्धालु निर्धारित तारीख से पहले ही आकर यात्रा शुरू कर देेते हैं। बुधवार से ही प्रशासन ने भी मंदिरों और मार्ग में पड़ने वाले पड़ाव स्थलों पर व्यवस्थाएं शुरू कर दी थी। नागचंद्रेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि यात्रा आरंभ करने से पहले श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर नागचंद्रेश्वर के दरबार में नारियल चढ़ाकर बल लेते हैं और लौटते समय वापस आकर मिट्टी के अश्व यानी घोड़े चढ़ाते हैं।

500 यात्री रवाना हो चुके, दो 

दिन पहले लौटेंगे भी सही 

बुधवार की सुबह से शाम तक एक अनुमान के मुताबिक 500 से ज्यादा लोग यात्रा पर निकल चुके हैं तथा बड़ी संख्या में लोग गुरुवार से भी यात्रा शुरू करेंगे। वैसे विधिवत पंचकोशी यात्रा की बात करे तो 3 मई को शुरू होगी और 7 मई को समाप्त होगी पर यहां तो जो लोग पहले ही रवाना हो गए वे 5 मई से उज्जैन आना भी शुरू हो जाएंगे।

उज्जैन की चारों दीशाओं में 

विराजित है चार द्वारपाल

प्राचीन उज्जैन की चारों दीशाओं में चार द्वारपाल शिवलिंग के रूप में विराजित है। इनमें पहले पिंग्लेश्वर, दूसरे दुदुर्देश्वर, तीसरे कायावरुणेश्वर तथा चौथे बिलकेश्वर महादेव है। इन चारों महादेव की परिक्रमा पूरी करने के लिए ही 118 किलो मीटर लंबी पैदल पंचक्रोशी यात्रा बनी है। 

जाने उज्जैन से महादेव व 

पड़ाव स्थल कितने दूर है 

– नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव 12 किलो मीटर

– पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव 23 किलो मीटर

– कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव 21 किलो मीटर

– नलवा उप पड़ाव से बिल्वकेश्वर पड़ाव अम्बोदिया 6 किलो मीटर

– अम्बोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव 21 किलो मीटर

– कालियादेह से दुर्धुरेश्वर पड़ाव जैथल 7 किलो मीटर

– दुर्धुरेश्वर से पिंगलेश्वर होते हुए उंडासा 16 किलो मीटर

– उडांसा उप पड़ाव से शिप्रा घाट उज्जैन 12 किलो मीटर