निगम में करोड़ों के भ्रष्टाचार की हाफ सेंचुरी, अब नप सकते हैं इंदौर नगर निगम के ‘लालची’ नेता और अफसर
इंदौर नगर निगम में हुए फर्जीवाड़े के लगातार हो रहे खुलासे
इंदौर। इंदौर नगर निगम में हुए 28 करोड़ के फर्जीवाड़े में नए खुलासे सामने आए है। निगम के जादूगरों ने बड़े ही षड़यंत्रपूवर्क काम को अंजाम दिया है, ताकि किसी को पता न लगे, लेकिन अब पुलिस के हाथ पुख्ता सबूत लग गए हैं। इस आधार पर ‘लालची’ नेता ओर निगम के भ्रष्टाचारी भी नप सकते हैं। क्योंकि जैसे-जैसे कुंडली खुलेगी तो कई सारे राज भी निकलना शुरू हो जाएंगे और ठेकेदारों को पकड़कर सख्ती की गई वो सारे नामों का भी खुलासे कर देंगे कि किसके कहने पर इस पूरे षड़यंत्र को अजाम दिया हैं।
फिलहाल 28.70 17 करोड़ 45.70 करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। इस फर्जीवाड़े का ग्राफ भी तेजी से आगे बढ़ रहा हैं।
कैसे दिया गया फर्जीवाड़े को अंजाम —
सूत्रों की मानें तो 2021 के बिल बनाए गए और उसे 2022-23 में अगले साल भेजे गए है। एक साल बाद लेखा विभाग में भेजे गए, ताकि किसी को शंका न हो। ये 20 बिल थे, जो करीब 28.70 करोड़ के फर्जी इन सभी के है हस्ताक्षर
निगम के शातिर गिरोह ने जो फर्जी फाइलें बनाई है, उसमें तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर संदीप सोनी, कमल सिंह, सुनिल गुप्ता, सेवकराम पाटिदार, अभय राठौर, राकेश शर्मा, धरमचंद्र पालिवाल और अविनाश कस्बे शामिल हैं।
इन सारी फाइलों पर इन सभी के हस्ताक्षर किए गए है। इसमें संदीप सोनी, कमल सिंह, सुनिल गुप्ता, सेवकराम पाटिदार और धरमचंद्र पालिवाल के हस्ताक्षर स्वीकृत की नोटशीट और पे ऑडर पर फर्जी तरीके से किए गए है।
इसी तरह कुछ फर्जी बिल 2021- 22 में लगा गए। इन बिलों की संख्या 13 बताई जा रही है, जिसकी राशि करीब 17 करोड़ है। ये पुख्ता सबूत पुलिस को मिल गए है। इसी आधार पर दंडात्मक कार्रवाई कर दोषियों पर शिकंजा कसा जाएगा। इसमें कई सारे चेहरे बेनकाब होंगे और सामने आएंगे।
अब तक हुए खुलासे —
हस्ताक्षर किए है और कार्यपालन यंत्री अभय राठौर ने एमबी और बिल पर भी इन तीनों के हस्ताक्षर है, जो फर्जी बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही कम्पलीशन सर्टिफिकेट और रॉयलटी के साथ ही लेवल शीट पर भी इनके साइन है।
इन सारे दस्तावेजों पर तीन लोगों के हस्ताक्षर किए गए है। सूत्रों की मानें तो 2018 से 2022 तक के सारे रिकॉर्ड खंगाले गए है, जिसमें ये चौकाने वाले खुलासे हुए है, जबकि दूसरे विभागों से भी जानकारी मांगी गई है।
राठौर, शर्मा और कस्बे के सारी फाइलों पर है हस्ताक्षर जितने भी काम हुए है उसमें सारे हस्ताक्षर तीन लोगों के हैं। इसके तहत काम हुआ है तो उपयंत्री अविनाश कस्बे ने बिल तैयार किया गया, जिसमें सहायक यंत्री राकेश शर्मा ने भी
जीएसटी विभाग ने जानकारी मांगी गई थी।
इसमें निगम के लेखा विभाग में बोला गया कि ये पुराने सारे पांच फर्मों के बिल निकालकर बताए जाए। लेखा विभाग में बगैर दिए सारी कुंडली इन पांचों फर्मों की निकालकर रख दी। इसमें 13 बिल निकले है, जिसमें ड्रेनेज, उद्यान, सहित अन्य विभागों के शामिल है। इसमें ओरिजनल पे ऑडर, ओरिजन बिल की कॉपी और साइड के सेम्पल फोटो व बाकी अन्य दस्तावेजों का ओरिजन पुलिंदा पुलिस को मिल गया है, जिसके आधार पर फर्जी हस्ताक्षर की जांच पड़ताल आसानी से की जा सकेगी। क्योंकि इन फाइलों में भी 28 करोड़ की फाइलों की तर्ज पर फर्जी हस्ताक्षर किए गए है, जिसकी अब जांच में सारे खुलासे हो जाएंगे।
अब ओरिजन सामने आ जाएंगे कि वो ही सिगनेचर आ गए है। अब फोरेंसिक जांच करवा लेंगे। अब शंका जो बनी हुई थी वो आसानी से दूर हो जाएगी और असली दोषी सामने होंगे।
पुलिस के हाथ लग गए पुख्ता सबूत, अब होगी कठोर कार्रवाई —
वर्कऑडर निकाले गए तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आ गए है। शोचालय और ड्रेनेज के जारी हुए कामों पर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। ये सारे काम तो दूसरे ठेकेदारों ने कर दिए, लेकिन मलाई खाने के लिए इन पांच फर्मों को आगे कर दिया गया। सिंहस्थ के समय आउट फॉल टेप करना थे, उसी भीड़ में फर्जी फाइलें बनाकर खेल कर दिया गया है। इन षड्यंत्रकारियों ने सीवरेज आउट फॉल टेपिंग का कार्य के एवज में जादूगरी को अंजाम दिया गया।
16 अप्रैल को 28 करोड़ 76 लाख
22 अप्रैल को 4 करोड़
24 अप्रैल को 17 करोड़
फर्जी फाइलें पांच फर्मों ने लगाई —
सूत्रों की मानें तो जिन कामों को जिक्र कर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है, वो काम किसी ओर फर्म द्वारा किया गया है, जबकि इन पांच फर्जी फर्मों के बिल भी शातिराना ढंग से तैयार कर लगा दिए …