सूनी रहेगी इस बार की अक्षय तृतीया…. न ढोल ढमाके की गूंज और न सुनाई देगी बैंड की स्वर लहरी
उज्जैन। इस बार की अक्षय तृतीया सूनी रहेगी। अर्थात न तो बैंड बाजों की स्वर लहरी सुनाई देगी और न ही ढोल ढमाके बजेंगे क्योंकि इस बार की अक्षय तृतीया पर शुभ विवाह या अन्य मांगलिक कार्यों के मुहूर्त ही नहीं है। ज्योतिषियों ने इसका कारण गुरू और शुक्र तारा अस्त होना बताया है।
गौरतलब है कि अक्षय तृतीया 10 मई को है। इसी दिन भगवान परशुराम की भी जयंती मनाई जाएगी। यूं भले ही परशुराम जयंती के अवसर पर शहर में विभिन्न आयोजन होंगे लेकिन वैवाहिक कार्यक्रमों की धूम बिल्कुल भी नहीं रहेगी। ज्योतिषियों ने बताया कि अक्षय तृतीया पर गुरु तारा अस्त रहेगा। क्योंकि गुरु का अस्तीकरण 6 मई से हो गया है और यह 3 जून तक माना जाएगा। इसी तरह से शुक्र तारा भी 28 जून तक अस्त रहेगा, लिहाजा गुरू और शुक्र तारे अस्त होने के कारण इस बार की अक्षय तृतीया पर किसी भी तरह से मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे।
जुलाई तक करना होगा इंतजार
ज्योतिषियों के अनुसार अक्षय तृतीया के बाद भी मई और जून माह में किसी तरह के शुभ मुर्हूत नहीं है। इसलिए जो लोग वैवाहिक कार्यक्रम करना चाहते है उन्हें जुलाई तक का इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि 9 जुलाई के बाद ही शुभ मुर्हूत रहेंगे। गुरू व शुक्र तारा उदय होने की तारीख भी 9 जुलाई बताई गई है।
जुलाई के बाद फिर नवंबर तक
जुलाई माह के बाद लोगों को वैवाहिक कार्यक्रम के लिए नवंबर महीने का इंतजार करना होगा। जुलाई महीने में 9,10,11,12, 13,14 और 15 तारीख को शादी-विवाह का शुभ मुहूर्त है। फिर अगस्त से अक्टूबर तक शादी-विवाह के कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। नवंबर माह में 12,13, 16,17,18 ,22, 23,25, 26, 28 और 29 तारीख को शुभ मुहूर्त हैं। दिसंबर माह में मात्र 6 दिन ही शुभ मुहूर्त है। जिसमें 4, 5, 9,10 14 और 15 तारीख को शादी-विवाह के शुभ दिन है।
तारे का उदित होना आवश्यक
विवाह के लिए गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना आवश्यक है। इन दोनों में से किसी एक के भी अस्त रहने पर विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त के भी विवाह कराया जाता है. लेकिन इसके लिए भी गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना आवश्यक है।