क्या आबकारी विभाग संभालने में अक्षम हैं, मंदाकिनी दीक्षित?

 

कमिश्नर व कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद हुई शराब ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही…

देवास। जब से आबकारी जिला अधिकारी श्रीमती मंदाकिनी दीक्षित ने देवास आबकारी की कमान संभाली हैं, तब से ही विभाग विवादों में घिरा हुआ हैं। 1 अप्रैल से शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष से ही शराब ठेकेदारों की मनमानी देखने को मिल रहीं हैं, जिसके चलते शहर सहित जिलेभर में ठेकेदारों द्वारा जमकर ओवरेटिंग की जा रहीं थी। जिसकी शिकायत भी आबकारी अधिकारियों को लगातार की जा रहीं थीं। बावजूद इसके ओवररेटिंग पर अंकुश लगाने में श्रीमती दीक्षित पूरी तरह नाकाम दिखाई दी। जब शिकायते इतनी बड़ गई की मामला आबकारी कमिश्नर अभिजीत अग्रवाल व कलेक्टर ऋषभ गुप्ता तक जा पहुंचा। तब जाकर आबकारी के कर्मचारी हरकत में आएं और ताबड़तोड़ कार्यवाही कर एक प्रेस नोट जारी कर इसकी जानकारी मीडिया को दी।

श्रीमती दीक्षित ने अब तक क्यों नहीं की कार्यवाही

1 अप्रैल से ही शराब ठेकेदारों द्वारा ओवरेटिंग कर लाखों रुपए प्रतिदिन की अतिरिक्त काली कमाई की जा रहीं थी। जिसकी शिकायत कुछ जागरूक उपभोक्ताओं और मीडिया द्वारा समय समय पर आबकारी जिला अधिकारी श्रीमती मंदाकिनी दीक्षित को की जा रही थी। बावजूद इसके अब तक खुलेआम ओवररेटिंग कर ठेकेदारों द्वारा शराब बेची जा रहीं थीं। सूत्रों की माने तो प्रतिदिन शराब ठेकेदारों द्वारा 10 लाख रुपए से अधिक की ओवरेटिंग की जा रहीं थी। बावजूद इसके आबकारी अधिकारी ठेकेदारों पर खासे मेहरबान थे। यहाँ तक की डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी शराब दुकानों पर रेट लिस्ट तक नहीं लगाई गई थी। आबकारी अधिकारी की शराब ठेकेदारों पर इतनी मेहरबानी क्यों थी, आप समझ सकते हो।

कमिश्नर व कलेक्टर को करना पड़ा हस्तक्षेप

देवास में शराब ठेकेदारों द्वारा खुलेआम ओवरेटिंग कर उपभोक्ताओं को लूटने का मामला इतना गरमा गया की मामले की शिकायत प्रदेश आबकारी कमिश्नर अभिजीत अग्रवाल तक ग्वालियर जा पहुंची। साथ ही कलेक्टर ऋषभ गुप्ता को भी इस संबंध में कई शिकायत मिल चुकी थी। आबकारी कमिश्नर व कलेक्टर ने कर्मचारियों को टीम बनाकर मामले में सख्त कार्यवाही किए जाने के कड़े निर्देश दिए थे। इसके बाद आबकारी अधिकारियों ने अधिक मूल्य पर मदिरा विक्रय करने पर 5 कंपोजिट शराब दुकान बावड़ियां, नावेल्टी, मक्सी रोड़, खातेगांव व हरणगांव पर कार्यवाही कर एक दिन के लिये दुकानों का लाइसेंस निलंबित किया गया हैं , साथ ही ठेकेदारों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया हैं।