रोजाना हजारों केन खफाई जा रही है
बिना किसी नियम कायदों के चल रहा कारोबार
शहर में धड़ल्ले से खुलते जा रहे हैं आरओ वॉटर प्लांट
दैनिक अवंतिका उज्जैन। शहर में अनगिनत आरओ वॉटर प्लांट खुल गए हैं जिसके घर में बोरिंग है वह भी आरओ वाटर प्लांट खोलकर इसका कारोबार कर रहा है। लेकिन आरओ वाटर के नाम से बिक रहा यह पानी कितना शुद्ध है और पीने योग्य है कि नहीं, इसकी गुणवत्ता व शुद्धता की खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई जांच नहीं की गई है। भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। ऐसे में अधिकतर लोग आरओ वॉटर कैन का पानी खरीद रहे है। और गर्मी में पानी की खपत ज्यादा हो रही है तथा आरओ पानी की डिमांड भी ज्यादा है। शहर में यह स्थिति है कि बाजार व कॉलोनी में सुबह से आर ओ पानी की कैन से लदी गाड़ियां सप्लाई के लिए गुमती देखी जा सकती हैै। लेकिन शहर में सभी जगह दौड़ रही इन गाड़ियों में लदी केनों में जो पानी है वह कितना शुद्ध है। इसको लेकर खाद्य विभाग के अधिकारियों ने ना तो इन गाड़ियों को रोककर केन में भरे पानी की जांच की है ना ही शहर में धड़ल्ले से संचालित हो रहे वाटर प्लांट की अभी तक जांच हुई है। शहर में बिना लाइसेंस पानी का कारोबार चल रहा है। नियम को ताक पर रखकर आरओ मिनरल वाटर प्लांट का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है, जिससे हजारों लीटर पानी की आपूर्ति प्रतिदिन की जा रही है। खास बात तो यह है कि अब यह आरओ वॉटर प्लांट गली, मोहल्लों व कॉलोनी में जिस घर में बोरिंग लगा हुआ है वहां भी यह प्लांट डल गए हैं। जिनके घर बोरिंग है वह भी आरओ वॉटर प्लांट का धंधा कर रहा है और साफ व शुद्ध पानी के नाम पर धड़ल्ले से इसका शहर में सप्लाई कर रहा है।
शहर में लगभग 200 से अधिक आरओ वाटर प्लांट हैं। जिनके द्वारा रोजाना हजारों घरों, दुकानों और दफ्तरों तक पानी पहुँचाया जाता है। यह पानी शुद्ध है या नहीं, इसका कोई प्रमाण नहीं, बावजूद लोग इसे शुद्ध पानी समझ कर पी रहे हैं। इसमें से अधिकांश के पास न तो पानी को फिल्टर करने का लाइसेंस है और ना ही उसे बाजार में बेचने का और वे 7 लाख की आबादी वाले शहर के आधे हिस्से को सप्लाई कर रहे है, वहीं लोग भी इसे शुद्ध पानी समझ कर पी रहे हैं। जाहिर है कि आरओ वाटर प्लांट के नाम पर चल रहा कारोबार बिना किसी नियम-कायदों के चल रहा है।
गर्मी में ज्यादा पानी की खपत, हजारों केन हो रही सप्लाई
आरओ संचालकों का कहना है कि वर्तमान में शहर में 20 लीटर की 6000 से लेकर 10 हजार केन रोज सप्लाय की जाती है। इसके मायने यह हैं कि लोग हर महीने लाखों रुपए इस पानी पर खर्च कर रहे हैं। लेकिन शहर में आरओ के नाम पर बिक रहे इस पानी की शुद्धता की खाद विभाग के अधिकारियों ने कोई जांच नहीं करवाई। जब दैनिक अवंतिका के संवाददाता ने इस पानी की पड़ताल की तो पता चला कि कुछ आरओ प्लांट संचालक उपभोक्ताओं को बोरिंग का पानी ही पिला रहे हैं। वह भी बिना फिल्टर किए। हालत यह है कि जिस व्यक्ति के घर पर बोरिंग लगा हुआ है उसने भी आरओ वाटर प्लांट डालकर इसका धंधा शुरू कर दिया है।