एक बार फिर से उठने लगी है उज्जैन का नाम बदलकर अवंतिकापुरी करने की मांग

अन्य शहरों के नाम बदले जा सकते है  तो फिर उज्जैन का  अवंतिकापुरी क्यों नहीं हो सकता

उज्जैन। उज्जैन का नाम बदलकर अवंतिकापुरी करने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है। संस्कृति रक्षक मंच की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव भी पारित कर लिया गया है। सवाल अब यह भी उठता है कि जब देश के अन्य प्राचीन शहरों के नाम बदले जा सकते है तो फिर उज्जैन का नाम बदलकर अवंतिकापुरी क्यों नहीं हो सकता है। गौरतलब है कि प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव उज्जैन के ही है और उनके दिलों दिमाग में उज्जैन की संस्कृति बसी हुई है इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि वे इस दिशा में गंभीरता के साथ कदम उठा सकते है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सीएम का ही यह निर्णय रहा है कि धर्मस्व विभाग भोपाल से उज्जैन में शिफ्ट किया जा रहा है। इसलिए अब सीएम साहब को उज्जैन का नाम बदलने की दिशा में भी गौर फरमाना ही चाहिए।

धार्मिक कथाओं के अनुसार उज्जैन को राजा महाकाल और विक्रमादित्य की नगरी कहा जाता है। जहां पर तीन गणेश जी विराजमान है चिंतामन, मंछामन और इच्छा मन  तो वहीं इसी स्थल पर भगवान शंकर का ज्योतिर्लिंग स्थित है, साथ ही साथ दो शक्तिपीठ हरसिद्धि और गढ़कालिका एवं 84 महादेव के साथ ही यहां पर देश का एकमात्र अष्ट चिरंजीवी ओ का मंदिर है। कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन को मंगल देव की उत्पत्ति का स्थान भी कहा जाता है तथा यहीं पर नौ नारायण और सात सागर भी है। यहां पर स्थित श्मशान को तीर्थ माना जाता है जिसे चक्रतीर्थ के नाम से जानते हैं। यहां पर देवी पार्वती द्वारा लगाया गया सिद्ध वट भी स्थापित है। उज्जैन में कुंभ  होने के कारण इसे सिंहस्थ  भी कहा जाता है। तो वही राजा विक्रमादित्य ने इसी स्थान पर विक्रमादित्य के कैलेंडर का प्रारंभ किया था जिस कारण भी जगह को काफी महत्व प्रसिद्धि प्राप्त है। उन्होंने इस देश को सर्वप्रथम बाद सोने की चिड़िया कहकर यहां से ही सोने के सिक्के का प्रचलन प्रारंभ किया था। महाकाव्य महाभारत ग्रंथ के अनुसार उज्जैन एक स्वर्ग है।  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर तीन काल विराजमान हैं-  महाकाल, काल भैरव, गढ़ कालिका तथा अर्ध काल भैरव। यहां के अनुसार इन तीनों की पूजा का यहां विशेष विधान है। बताया जाता है कि उज्जैन से ही विश्व का काल निर्धारित होता है अर्थात मानक समय का केंद्र भी यहीं पर है  और यहीं से ग्रह नक्षत्रों की गणना की जाती है तथा उज्जैन से ही कर्क रेखा गुजरती है

ये रहे है उज्जैन के प्राचीन नाम

आज जो नगर उज्जैन नाम से जाना जाता है वह अतीत में अवंतिका, उज्जयिनी, विशाला, प्रतिकल्पा, कुमुदवती, स्वर्ण शृंगा, अमरावती आदि अनेक नामों से अभिहित रहा। मानव सभ्यता के प्रारंभ से यह भारत के एक महान तीर्थ-स्थल के रूप में विकसित हुआ। पुण्य सलिला क्षिप्रा के दाहिने तट पर बसे इस नगर को भारत की मोक्षदायक सप्तपुरियों में एक माना गया है।

अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैतामोक्षदायिका।।