नेताओ की परिक्रमा शुरू, लोकसभा चुनाव के बाद लाभ के पद पर एकजेस्ट करने की जुगत

 

 

मुख्यमंत्री विभिन्न बोर्ड को खत्म करने की कर रहे प्लानिंग

इंदौर। 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आ जाएंगे। इसके बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में परिवर्तन होगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों में बदलाव होगा लेकिन भाजपा के बदलाव को लेकर उत्सुकता ज्यादा है क्योंकि प्रदेश में वही सत्तारूढ़ है।
दरअसल, 3 दिसंबर को जब से विधानसभा चुनाव के परिणाम आ गए थे, तब से तब से उन भाजपा नेताओं को अपने पुनर्वास की उम्मीद थी जिनके टिकट विधानसभा में काटे गए थे या जिन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान आश्वासन दिया गया था। लेकिन लोकसभा चुनाव निकट होने से भाजपा ने राजनीतिक नियुक्तियों से परहेज किया।

यहां तक की कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद विष्णु दत्त शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रखा गया। हालांकि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जरूर निगम मंडलों के कुछ अध्यक्षों से इस्तीफा ले लिया था, लेकिन अभी भी कुछनिगम मंडल अध्यक्ष अपने पदों पर काम कर रहे हैं। इधर वल्लभ भवन में यह चर्चा है कि मोहन यादव सरकार घाटे में चल रहे हैं निगम मंडलों को बंद करने की तैयारी कर रही है।

ऐसे निगम, मंडल और बोर्ड जिनसे शासन को या प्रदेश के नागरिकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है और इसके बावजूद वे संचालित होकर सरकार पर वित्तीय भार बढ़ा रहे हैं, उनकी जानकारी मांगी गई है। वहीं, भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) ने भी घाटे में चल रहे निगम-मंडलों के वित्तीय प्रबंधन से जुड़ी जानकारी मांगी है। इसी संदर्भ में वित्त विभाग ने सभी विभाग प्रमुखों को पत्र लिखकर ऐसे निगम – मंडलों की 12 बिंदुओं में जानकारी मांग ली है।
बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद ऐसे निगम-मंडलों को सूचीबद्ध कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि 46 निगम, मंडल, प्राधिकरण और बोर्ड में सरकार नियुक्तियां भी निरस्त कर चुकी है।
कैग ने 31 मार्च, 2022 की रिपोर्ट में बताया है कि मध्य प्रदेश में ऐसे 72 में से 40 उपक्रम निष्क्रिय रहे। राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के ये उपक्रम तीन से 32 साल तक निष्क्रिय रहे। कैग ने राज्य शासन को यह भी सुझाव दिया है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के इन सभी उपक्रमों के कामकाज की समीक्षा करे और उनके वित्तीय प्रदर्शन में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए।
ऐसे निष्क्रिय सरकारी उपक्रम जैसे निगम मंडल, बोर्ड की समीक्षा कर उनके पुनरूद्धार या उन्हें समाप्त करने के लिए उचित निर्णय लें। इनमें मप्र पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, विद्युत वितरण कंपनियां, स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड, मप्र वन विकास निगम, मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी, मप्र सड़क परिवहन निगम, वेयर हाउसिंग एंड लाजिस्टिक्स कार्पोरेशन, मप्र माइनिंग कार्पोरेशन सहित अन्य निगम मंडल और बोर्ड शामिल है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिवराज सरकार के दौरान बनाए गए विभिन्न बोर्ड और प्राधिकरणों की सूची भी तलब की है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार उन बोर्ड और प्राधिकरणों को भी बंद करने का निर्णय ले सकती है, जिनका पूर्ववर्ती शिवराज सरकार में गठन किया गया था।

विधानसभा चुनाव के पहले रजक, वीर तेजाजी, परशुराम कल्याण, तेलघानी, विश्वकर्मा, स्वर्णकला, कुश, महाराणा प्रताप, जय मीनेश, मां पूरी बाई कीर, देवनारायण सहित अन्य कल्याण बोर्ड गठित किए थे। वित्त विभाग ने सभी विभागों को एक प्रोफार्मा भेजा है।
इसमें उन्हें 12 बिंदुओं की जानकारी भरकर भेजना है। इनमें समस्त सांविधिक निगम, सरकारी कंपनियों की सूची मांगी है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023- 24 के दौरान एवं वर्ष के अंत तक निवेशित राशि बतानी होगी।
शेयरों की संख्या और भुगतान के योग बताने होंगे। शेयर की श्रेणी का भी उल्लेखित करना होगा। यदि निगम हानि में चल रहा हो तो मार्च 2024 के अंत तक पूर्ण हानि का विवरण उसके कारणों सहित बताना होगा।
31 मार्च, 2023 की स्थिति में परीक्षित लेखा की प्रति उपलब्ध करानी होगी और संस्था के अतिरिक्त लाभ में आने की तिथि से वर्षवार निवेशित राशि बतानी होगी।