मुख्यमंत्री ने यदि मंडल खत्म किए तो भाजपा में आए कांग्रेसियों की दुकान हो जाएगी मंगल

 

 

कई नेता लाभ के पद के लालच में भाजपा में आए

 

 

इंदौर। कांग्रेस में मची भगदड़ के कारण अनेक मौजूदा और पूर्व विधायक तथा सांसद भाजपा में शामिल हो गए। लोकसभा चुनाव के कारण राजनीतिक नियुक्तियां बंद थी लेकिन 4 जून के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव संगठन के साथ चर्चा करके इस संबंध में विचार करेंगे।
निगम मंडल में नियुक्तियां को लेकर सबसे अधिक अपेक्षा कांग्रेस से भाजपा में आए बड़े नेताओं को है। मालवा और निमाड़ अंचल की बात करें तो यहां संजय शुक्ला, विशाल पटेल, अंतर सिंह दरबार और गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी जैसे नेताओं ने भाजपा में प्रवेश किया था, जो विधायक या सांसद रह चुके हैं।
इनमें गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी के पुनर्वास को लेकर सबसे अधिक चर्चा है। विशाल पटेल के मामले में कैलाश विजयवर्गीय उनकी मदद कर सकते हैं। इसी तरह अंतर सिंह दरबार के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें इंदौर प्रीमियर कोऑपरेटिव बैंक में अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

 

संजय शुक्ला के साथ दिक्कत यह है कि उनके भाई गोलू शुक्ला विधायक है और क्षेत्र क्रमांक एक के विधायक कैलाश विजयवर्गीय हैं। यह दोनों नेता शायद ही चाहेंगे कि संजय शुक्ला को कोई बड़ा मुकाम मिले ?। इसलिए देखना होगा कि राजनीतिक नियुक्तियों में पूर्व कांग्रेसी नेताओं को भाजपा में कितनी सफलता प्राप्त होती है। इधर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तमाम बड़े पदाधिकारी इन दोनों संघ शिक्षा वर्ग में व्यस्त हैं।
संघ शिक्षा वर्ग समाप्ति के बाद भाजपा और संघ के बीच समन्वय बैठकों का सिलसिला शुरू होगा। यह सिलसिला 15 जून के बाद प्रारंभ होगा तब तक लोकसभा चुनाव के परिणाम आ जाएंगे और नई सरकार बन जाएगी।

केंद्र में क्या होगा यह तो 4 जून को पता चलेगा लेकिन प्रदेश में भाजपा की मजबूत सरकार पहले से ही अस्तित्व में है। प्रदेश की सरकार को लोकसभा चुनाव के कारण राजनीतिक नियुक्तियों का समय नहीं मिला लेकिन अब लोकसभा चुनाव के बाद तेजी से इस दिशा में काम होगा। सूत्रों के अनुसार इसमें उन लोगों को प्राथमिकता मिलेगी, जिनसे विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट के जिन दावेदारों को दर्जा मंत्री बनाने का आश्वासन दिया गया था, उन नेताओं को एडजेस्ट किया जाएगा।
इसके अलावा कांग्रेस से आए कुछ चुनिंदा नेताओं की ताजपोशी भी निगम- मंडलों में हो सकती है। शिवराज सरकार में भाजपा के उन संभागीय संगठन मंत्रियों को भी निगम- मंडल में तैनात किया गया था, जिन्हें पार्टी ने विधानसभा चुनाव के बाद हटाया था। इनमें से कुछ भाजपा के पूर्णकालिक कार्यकर्ता भी हैं। अब तय किया गया है कि उन सभी पूर्व संगठन मंत्रियों को एकबार फिर मंत्री दर्जा दिया जाएगा।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कई नेताओं की टिकट काटी गई थी। इनमें से कुछ नेताओं के पुनर्वास का पार्टी ने आश्वासन दिया था। संभावना है कि चुनाव बाद सरकार ऐसे नेताओं को मंत्री दर्जा दे सकती है।

भाजपा इस बात पर भी विचार कर रही है कि जिन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें भी निगम-मंडल में समायोजित किया जा सके। कांग्रेस के भी कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है, उनमें से कुछ को पार्टी ने मंत्री दर्जा देने का आश्वासन दिया था, उनके नाम पर पार्टी विचार कर सकती है।
कांग्रेस से सुरेश पचौरी सहित तीन पूर्व सांसदों ने भाजपा की शरण ली थी। इसी तरह कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा ने दीपक सक्सेना को तोड़कर झटका दिया था। मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव के पहले आल्हा कमान की अनुमति से राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा, उपाध्यक्ष नरेंद्र बिरथरे और राज्य वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सत्येंद्र भूषण सिंह सहित नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने भोपाल, इंदौर, उज्जैन, देवास सहित अन्य विकास प्राधिकरणों में नियुक्त किए गए अध्यक्ष-उपाध्यक्ष और अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति भी निरस्त कर दिए थे। जाहिर है 15 जून के बाद सरकार और संगठन एक्टिव मोड पर आने वाले हैं।