छावनी अनाज मंडी को केलोद- करताल स्थित नई मंडी को मंजूरी का इंतजार… मंडी प्रशासन ने शासन को फिर किया पत्राचार
जिला प्रशासन ने किया था पिछले दिनों निरीक्षण
इंदौर । कलेक्टर आशीष सिंह छावनी स्थित अनाज मंडी को नई जगह शिफ्ट करने के लिए काफी समय से प्रयासरत है,चूंकि अब आचार संहिता भी खत्म हो चुकी है ऐसे में शासकीय कामों में भी अब तेजी आना तय है।
पुरानी मंडियों को नए तरीके से संवारने के लिए बेहतर प्रयास जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे है। इसी क्रम में मंडी प्रशासन ने शहर की अति व्यस्त संयोगितागंज मंडी को स्थानांतरित करने के लिए केलोद – करताल में 150 एकड़ जमीन के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा।
हालांकि पिछले दिनों जिला प्रशासन अधिकारियों कलेक्टर आशीष सिंह मंडी सचिव व व्यापारियों के साथ निरीक्षण भी किया है। इसमें छावनी अनाज मंडी के व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।
सरकार पिछले छह महीने में इस प्रस्ताव को कैबिनेट में मंडी प्रशासन ने कृषि उपज मंडी के माध्यम से भोपाल पत्र लिखकर राशि स्वीकृत करने की मांग की है।
दरअसल 50 एकड़ निजी जमीन अधिग्रहित के कारण मंडी की मंजूरी का काम अटक गया है। इंदौर के खंडवा रोड स्थित केलोद करताल में प्रस्तावित नई मंडी का काम शुरु करने के लिए भोपाल से मंजूरी के इंतजार है। प्रशासन द्वारा यहां चिन्हित 100 एकड़ जमीन सरकारी है, और 50 एकड़ जमीन के लिए जमीन मालिकों व किसानों से संपर्क किया जा रहा है।
जिला प्रशासन के माध्यम से सर्वे और प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा लेकिन अभी तक शासन की ओर से मंजूरी नहीं मिली है। योजना अनुसार छावनी अनाज मंडी को पूरी तरह केलोद करताल मंडी में स्थानांतरित करने के साथ ही लक्ष्मीबाई मंडी के दुकानदारों को भी शिफ्ट किया जाएगा।
इस पूरे प्रोजेक्ट को तैयार होने में लगभग 1 से डेढ़ वर्ष लगेगा इसलिए मंडी प्रशासन की मंशा है कि इसे जल्द से जल्द तैयार कर लिया जाए, लेकिन अभी तक शासन की ओर से मंजूरी नहीं मिलने के कारण मामला लंबित होता जा रहा है। केलोद करताल क्षेत्र में 100 एकड़ जमीन सरकारी होने से इतनी दिकत नहीं आ रही है और केवल इस पूरे प्रोजेक्ट में 50 एकड़ जमीन अतिरिक्त चाहिए, इसलिए वह भी अधिग्रहित की जाएगी।
50 एकड़ अतिरिक्त जमीन पर पेंच अटका —-
शासन से अनुमति मिलने के बाद ही लगभग 1000 करोड रुपए खर्च करने के बाद यहां अत्याधुनिक मंडी का निर्माण हो सकता है। मंडी सचिव नरेश कुमार परमार ने बताया कि 100 एकड़ जमीन सरकारी और 50 एकड़ प्राइवेट जमीन अधिग्रहित की जाएगी, तकरीबन 1 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है। अभी प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। वहां से मंजूरी नहीं मिली है इसलिए दोबारा शासन को पत्रा भेजा गया है।
कृषि उपज मंडी मुख्यालय भोपाल के माध्यम से भी सरकार की ओर से मंजूरी जल्द मिले इसका प्रयास किया जा रहा है।