कस्तूरबा ग्राम रूरल को मिला 2029 तक ऑटोनॉमस का दर्जा
इंदौर। महात्मा गांधी के मूल्यों और आदर्शो पर स्थापित और संचालित कस्तूरबा ग्राम रूरल इंस्टीट्यूट को मिला ऑटोनॉमस का दर्जा 5 साल के लिए बढ़ गया है। आवेदन अनुसार जाँच के बाद सरकार ने कॉलेज की मान्यता 2028-29 तक कर दी है।
दरअसल, कॉलेज की स्वशासी वाली मान्यता 2023-24 में खत्म हो रही थी, जिसे बढ़ाने के लिए आवेदन किया गया था। करीब 65 साल पहले कॉलेज की स्थापना बा और बापू द्वारा इस माटी के लिए बनाए गए आदर्शो को आगे बढ़ाने के लिए की गई थी। कॉलेज आज तक इन आदर्शो का पालन करता आया है। प्रदेश के इस पहले ऑटोनॉमस संस्थान में 250 से ज्यादा ग्रामीण बच्चियां पढ़ाई कर रही है। इन्हें यहां पाठ्यक्रम के साथ कौशल भी सिखाया जाता है। इन्हें ग्रामीण परिवेश में ही सुधार कर आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि वे प्रकृति से जुड़ी रहें।
पर्यावरण पर ज्यादा ध्यान
प्रिंसिपल डॉ. ऋषिना नातू बताती हैं कि, हमारे संस्थान में प्रकृति और पर्यावरण पर ज्यादा ध्यान देते हैं। जैविक विविधता पर जोर देते हुए हमने परिसर में इस तरह का वातावरण बनाया है, जिससे यहां पशु-पक्षी बिना किसी डर के आते हैं।
छात्राएं सीख रही कौशल
इस संस्थान में बीएचएसी, बीए (इन रूरल एक्सटेंशन) और एमए (इन रूरल एक्सटेंशन) पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इस दौरान सिलेबस के साथ कौशल पर खास ध्यान दिया जाता है। इसमें सिलाई, कड़ाई, आर्ट एंड क्राफ्ट, कुकिंग, वॉटर कंजरवेशन के साथ ही न्यूट्रिशन का सर्टिफिकेट कोर्स भी कराया जा रहा है। इससे ये पढ़ाई के साथ कमाई भी कर सकती है, जो इनका आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।