मोदी सरकार ने मप्र को किया मालामाल, अब बाजार से भी ऋण ले सकता है राज्य शासन

 

केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में प्रदेश के हिस्से के 10 हजार 900 करोड़ कर दिए आवंटित

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से अब बाजार से ऋण ले सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार ने अनुमति दे दी है। इधर मोदी सरकार ने भी मध्य प्रदेश को मालामाल कर दिया है। केंद्रीय करों के हिस्से में प्रदेश को 10,900 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं, जीएसटी में भी 19 हजार करोड़ रुपए से अधिक प्राप्त हुए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक है।

प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब – कांग्रेस

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऋण राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान के दायरे में रहते हुए लिया जा रहा है। उधर, कांग्रेस ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को खराब बताते हुए सरकार से विधानसभा के मानसून सत्र में श्वेत पत्र प्रस्तुत करने की मांग की है।
सरकार ने कब-कब लिया कर्ज
प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 42 हजार 500 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। 31 मार्च 2023 की स्थिति में प्रदेश के ऊपर ऋण तीन लाख 31 हजार करोड़ रुपये से अधिक था। इसमें अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच लिए ऋण को शामिल किया जाए तो यह लगभग पौने चार लाख करोड़ रुपये होता है।

प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार से आगामी वित्तीय वर्ष में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान के अनुसार ऋण लेने की अनुमति मांगी जाती है। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इस बार यह विलंब से जून में मिली। अब सरकार जब आवश्यकता होगी, तब ऋण ले सकती है। यह राशि इस बार 50 हजार करोड़ रुपये तक हो सकती है।
उधर, केंद्र सरकार ने प्रदेश ने केंद्रीय करों में हिस्से के 10 हजार 900 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए हैं। वर्ष 2023-24 में सरकार ने 80,184 करोड़ रुपये केंद्रीय करों में हिस्सा मिलने का अनुमान लगाया था। केंद्र सरकार से साढ़े छह हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले हैं। वहीं, जीएसटी से 33 हजार 110 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जो वर्ष 2022-23 की तुलना में लगभग 26 प्रतिशत अधिक है।

श्वेत पत्र लाने की मांग

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि सरकार की वित्तीय स्थिति खराब है। प्रदेश कर्ज के बोझ तले दब गया है। सरकार को वित्तीय स्थिति जनता के बीच स्पष्ट करनी चाहिए। विधानसभा के मॉनसून सत्र में इसको लेकर श्वेत पत्र प्रस्तुत किया जाए।
वहीं, उप मुख्यमंत्री वित्त जगदीश देवड़ा का कहना है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक है। कर्ज जब भी लिया जाता है तो वह निर्धारित मानदंडों के अनुरूप ही लिया जाता है और इस राशि का उपयोग प्रदेश की अर्थव्यवस्था और विकास परियोजनाओं को गति देने के लिए होता है।