व्यापम से आए इंजीनियर सात साल में बन गए ‘धनकुबेर’

कोई तैयार करवा रहा है मकान तो किसी ने खरीदी जमीन

इंदौर की लाइफ स्टाइल ने किया आकर्षित

इंदौर। व्यापमं से आए ज्यादातर इंजीनियरों की इंदौर की लाइफ स्टाइल ने आकर्षित किया। क्योंकि ये जहां से आए है, उन्होंने इंदौर जैसी लाइफ स्टाइल कभी नहीं देखी थी।

शुरुआत में इन्होंने अपने वरिष्ठ को शुभ-लाभ करते देखा तो उन पदों पर जाने का जिज्ञासा हो गई। अब ये उन सभी सीनियरों को पीछे कर बड़े-बड़े पदों पर जा बैठे हैं। फिर बात बिल्डिंग परमिशन की करें या फिर झोनल कार्यालय, राजस्व विभाग या फिर सीएसआई पर। निगम के ज्यादातर विभागों में इनका कब्जा हो चला है। यहीं कारण है कि रात के अंधेरे में ज्यादातर पबों में रंगदारी दिखाते पाए जाते है।
इसमें कई इंजीनियरों की नौकरी लगने के बाद शादी हुई है। यहां तक की इन्होंने इंदौर शहर में कई स्थानों पर प्लाटों पर पैसा भी लगा दिया है, जबकि कुछ लोगों ने भव्य मकान रिश्तेदारों के नाम से बना लिए है।

 

वरिष्ठ इंजीनियर भी इनसे घबराने लगे है। सूत्रों की मानें तो नगर निगम में वरिष्ठ इंजीनियर अब इन इंजीनियरों से घबराने, डरने लगे है। क्योंकि सभी को भय रहता है कि कमिश्नर की डाट न पड़ जाए। इसका फायदा ये इंजीनियर उठाते है और फाइलें साइन करवाते है। क्योंकि स्वच्छ भारत मिशन में नंबर वन आने के बाद कमिश्नर हर सब इंजीनियर और हर सीएसआई को नाम से जानते है।
इसका ये भरपूर फायदा उठाते है और मिटिंग में अपनी बात बड़ी दम खम से रखते है। इस कारण इनके आगे बरिष्ठों इंजीनियरों को जुखना पड़ा है, जिसका ये भरपूर फायदा उठा रहे है।

इंदौर नगर निगम के ज्यादातर विभागों में व्यापमं से आए इंजीनियरों ने एक तरफा साम्राज्य स्थापित कर लिया है। इसमें किसी ने मकान बना लिया है तो कोई बनाने की तैयारी कर रही है, जबकि किसी ने जमीन खरीद ली है। ये सब सात सालों के दौरान ही हुआ है। क्योंकि ये निगम के कई महत्वपूर्ण विभाग में महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहे है। इसीलिए ज्यादातर धनकुबेर बन बैठे है।
ये सभी 19 जोन के मलाइदर पद पर नियुक्त है। शुरुआत में अच्छा काम किया, लेकिन बाद में ज्यादातर इंजीनियर गलत काम में लग गए है और नशे में हुब चुके है।
व्यापम से आए ज्यादातर इंजीनियर शनिवार-रविवार रात पबों में करते है शराबखोरी और डांस भी करते हुए नजर आते है। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या भविष्य में इंदौर अच्छा बन पाएगा।

….ओर कब हुई नियुक्ती —

2016-17 में इंदौर नगर निगम में इनकी नियुक्ती हुई है। इन्होंने आने के बाद से ही अपना गुट बना लिया है, क्योंकि ये सभी युवा है और लगभग एक ही उम्र के है। इनका अपना एक वाट्सअप ग्रुप भी है। शुरुआत दौर में बहुत रंग ढंग देखे। ये देखने के बाद इन्हें जो उम्मीद थी, उससे कई ज्यादा इंदौर नगर निगम में अवसर प्राप्त हुए।
क्योंकि पुराने इंजीनियरों ने कुछ गलतियां कर रखी थी, उन गलतियों को भी इन लोगों ने अपने बड़े अधिकारियों तक पहुंचाया और (पुराने इंजीनियरों) का पत्ता काटने
का काम किया।
कमाल तो ये है कि व्यापमं से आए इंजीनियरों ने एक अभियान संयुक्त रूप से चलाया, ताकि पुरानों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए और उसमें सफल भी हो गए। इनका वाट्स अप ग्रुप है, जिसमें तय होता है।
इसमें किसे काटना है और उस इंजीनियर व जेडो के साथ असहयोग करना है, ये सब रणनीति तैयार होती है। कारण, इनका मकसद सिर्फ एक ही है पैसा, पैसा और पैसा।
सूत्रों की मानें तो इंजीनियरों को महंगे आईफोन, महंगे पत्रों में जाना और शराबखोरी करना, स्कॉच पीने और महंगी गाड़ियों में घुमना इनका शौक हो गया है। इन्होंने जो जीवन में कभी सोचा नहीं था वो सिर्फ पांच साल में इन्होंने हासिल कर लिया है। स्वच्छता के नाम पर भारी हेर-फेर की। स्वच्छता का इन्होंने भरपूर फायदा उठाया है।

ये लग गए शौक —

ढक्कन, टूटे हुए चेम्बर बनाना, छोटी सी दीवार बनाना। कई प्रकार जीएसबी, चुरी डलवाना। उनकी एक- एक लाख को फाइल बनाने में महारथ हासिल की है। इसकी आड़ में इनका जमकर लेन देन होता है। इनकी सेटिंग नीचे से लेकर उपर तक है।
इनकी बाबु बड़ी चालाकी से स्वीकृति करवा लेते हैं। कई मामलों में टेंडर हो चुके है, लेकिन फिर भी एक-एक लाख की फाइल बनाई गई।