इंदौर में 13वर्षीय सातवीं की छात्रा की खुदकुशी की वजह नहीं हो पा रही स्पष्ट

 

परिवारवाले भी बता नहीं पा रहे, अब उसका टैबलेट उगल सकता है कुछ राज

इंदौर। बेटी अंजिल के स्कूल का पहला दिन था, पिता अमोल उसे बस स्टॉप तक छोड़ने गए थे। कुछ देर स्कूल बस का इंतजार किया तो बेटी बोली- ‘पापा आप घर चलो जाओ, मैं चली जाऊंगी।’ अमोल ने अंजलि से बाय… टेक केयर कहा और घर आ गए। बेटी उनसे हमेशा के लिए दूर चले जानी वाली है ये उन्हें कहां पता था। कुछ देर बाद सूचना मिली उसका शव बिल्डिंग के नीचे पड़ा है।
मामला इंदौर की अपोलो डीबी सिटी का है, जहां रहने वाले कंटेनर कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के सीनियर मैनेजर अमोल यामयार की 13 वर्षीय बेटी अंजिल ने मंगलवार को 14वीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी कर ली। वो सातवीं कक्षा की छात्रा थी। पिता जब उसे स्कूल बस स्टॉप पर छोड़कर वापस लौटे, इसके चंद मिनट बाद अंजलि टाउनशिप के दूसरे ब्लाक (ओफिरा-1) पहुंची और लिफ्ट से सीधे 13वीं मंजिल पर पहुंचकर बैग रखा, इसके बाद 14वीं मंजिल के डक्ट से छलांग लगा दी। नीचे गिरते ही उसकी मौत हो गई।

ड्रेस देखकर स्कूल से निकाली जानकारी

अमोल यामयार मूलत: पुणे के रहने वाले हैं। इसके पूर्व उनकी पोस्टिंग विशाखापट्टनम (ओडिशा) में थी। इसी वर्ष मार्च में उनका तबादला इंदौर हुआ, इसलिए मल्टी में उनकी या उनके बच्चों की ज्यादा लोगों से जान-पहचान नहीं हुई। अमोल ने बेटे आदित्य का यहां डीपीएस (ग्यारवीं कक्षा) और बेटी अंजलि का एडवांस एकेडमी (सातवीं कक्षा) में एडमिशन करवाया। अंजलि अप्रैल में कुछ दिनों के लिए ही स्कूल गई, फिर छुट्टी लग गई।
छुट्टियां समाप्त होने पर मंगलवार को उसका स्कूल का पहला दिन था। 14वीं मंजिल से कूदने के बाद नीचे पड़ा अंजलि का शव देखकर चौकीदार, नौकर और रहवासी घबरा गए। कोई पहचान नहीं सका। स्कूल की ड्रेस देखकर कुछ लोग स्कूल से जानकारी लेने गए।
करीब पौन घंटे बाद पिता अमोल तक यह खबर पहुंची। थोड़ी देर बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। एडिशनल डीसीपी अमरेंद्रसिंह के मुताबिक पुलिस ने टाउनशिप में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज निकाल लिए हैं। देर रात तक पुलिस तलाशती रही, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।

खुश नहीं थी अंजलि

भाई आदित्य ने बताया कि अंजलि की विशाखापट्टनम में दो सहेलियां हैं। वह उनसे ही बात करती थी। विशाखापट्टनम से इंदौर आने के बाद से वह खुश नहीं थी। पुलिस ने अंजलि का बस्ता देखा, तो किताबें और लंच बॉक्स मिला। रूम की तलाशी में टैबलेट (डिवाइस) मिला, जिसमें पैटर्न लॉक लगा था। पुलिस टैबलेट की जांच करेगी। सायबर एक्सपर्ट की सहायता से उसे अनलॉक करवाया जा रहा है।

बड़ा भाई बोला- अंतरमुखी थी अंजिल

पुलिस ने अंजलि के बड़े भाई आदित्य से पूछताछ की। उसने बताया कि अंजलि अंतरमुखी थी। वह काफी कम बोलती थी। सोमवार को पापा (अमोल) के साथ पूरा परिवार माल में घूमने गया था। मैंने खरीदारी की, लेकिन अंजलि ने कुछ नहीं खरीदा। उससे कपड़े खरीदने को कहा, तो उसने मना कर दिया। हम सबने खाना भी बाहर खाया था।
भाई ने कहा- मैं कई बार उससे बात करता, उसे समझाने की कोशिश करता था। टीआई तारेश सोनी के मुताबिक अंजलि के पिता अमोल के परिचितों ने बताया कि अमोल भी कम बोलते हैं। बहरहाल, अंजलि ने आत्महत्या क्यों की, यह समझ नहीं आ रहा है। घटना के बाद अंजलि की मां अर्चना की सेहत खराब हो गई।

विशेषज्ञ कहते हैं… बच्चे भी होते हैं अवसाद के शिकार

मनोचिकित्सकों कामना है कि हम सोचते हैं कि बच्चों को अवसाद (डिप्रेशन) नहीं होता, किंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है। नींद न आना, पढ़ाई में मन नहीं लगना, मन उदास होना जैसे लक्षण बच्चों में देखे जा सकते हैं। बच्चे इन समस्याओं को समझ भी नहीं पाते और व्यक्त भी नहीं कर पाते। चूंकि आजकल कई परिवारों में माता-पिता दोनों कामकाजी होते हैं, ऐसे में वे बच्चे पर अधिक ध्यान भी नहीं दे पाते।
उनकी मनोदशा क्या है, यह भी जान नहीं पाते। इससे बच्चे एकांतिक होते जाते हैं। अत: माता-पिता को चाहिए कि यदि रोज समय नहीं निकाल पा रहे हैं, तो सप्ताह में एक दिन जरूर समय निकालें। बच्चों के साथ खेलें, उनसे बात करें, उन्हें बाहर घुमाने ले जाएं। यह समझें कि वह आपके साथ घुलमिल रहे हैं या नहीं और घर के सामान्य माहौल में शामिल हो रहे हैं या नहीं। मोबाइल की लत भी मनोरोग की समस्या का एक कारण है।

बच्चों के मनोरोग को समझें

10 से 20 वर्ष की आयु में हार्मोन बदलने लगते हैं। इस दौरान किशोर/युवा अंतरमुखी भी हो सकते हैं। परिजनों को ध्यान रखना चाहिए कि इस दौरान उनसे सम्मान के साथ बात करें। परिजनों को बच्चे की मनोरोग की समस्या को समझते हुए उपचार करवाने के लिए भी जागरूक होना चाहिए।