कृषि के 6 स्तंभों को आधार बनाकर खेती की योजनाएं निर्धारित करें -डॉ.पाठक

 

 

उज्जैन। किसानों की आय दोगुनी करने हेतु प्राकृतिक खेती ही एक ऐसा माध्यम है जिससे केवल मृदा का स्वास्थ्य ही ठीक नहीं होता, बल्कि मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को भी दूषित होने से बचाया जा सकता है। हमें कृषि के छह स्तंभों जल, जमीन, बीज, जलवायु, मानव संसाधन और कृषि उपकरण को आधार बना कर खेती की योजनाएं निर्धारित करना होगी। उक्त उद्गार कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन में कृषि महाविद्यालय इंदौर के अधिष्ठाता डॉ.केएन पाठक ने व्यक्त किये।

वे 37वी वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर संचालक विस्तार सेवाएं रा.वि.सि.कृ.वि.वि ग्वालियर के प्रतिनिधि के रुप में डॉ.वायडी मिश्रा वर्चुअली उपस्थित थे। सभी उपस्थितों का स्वागत कर डॉ.आरपी शर्मा प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख द्वारा सभी सदस्यों को वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति के बारे में विस्तार से बताया गया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा दी गई।

डॉ.आरपी शर्मा एवं डॉ.डीएस तोमर वरिष्ठ वैज्ञानिक ने विगत छह माह का प्रगति प्रतिवेदन तथा आगामी खरीफ मौसम की तकनीकी जानकारी पावर पाइंट के माध्यम से दी। तत्पश्चात सभी से सुझाव आमंत्रित किये गये। इसमें कृषि विभाग से संयुक्त संचालक कृषि आरपीएस नायक, संयुक्त संचालक, उद्यानिकी आशीष कुमार कनेश, बी.एस.जामरा, डॉ.अंशु जैन, श्रीमति कीर्ति गाकरे,  पीसीएस सिसौदिया,  दीपक पाल,  प्रदीप बारपेटे, कृपा एवं आसा गैर-सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने बहुमूल्य विचार रखे। साथ ही प्रगतिशील किसान  इंदरसिंह सिंह जादौन, ईश्वर ने भी अपने विचार रखे। कार्यकंम में केवीके रिंग पार्टनर डॉ.अमवाबतिया शाजापुर तथा राधेश्याम टेलर इंदौर वर्चुअल रुप से उपस्थित थे।

आर.पी.एस. नायक द्वारा प्राकृतिक खेती पर प्रयोग केन्द्र के फसल संग्रहालय में लगाने का सुझाव दिया ताकि जिले के विभिन्न तहसीलों के कृषक देखकर प्रेरित हो सकें। इस अवसर पर डॉ.एस.के.कौशिक, डॉ.रेखा तिवारी, श्रीमती रुचिता कनौजिया डॉ.मौनी सिंह, श्रीमती सपना सिंह, श्री डी.के. सूर्यवंशी वैज्ञानिक एवं अन्य कर्मचारियों का उल्लेखनीय सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार डॉ.डीएस तोमर ने माना।