सिंहस्थ मेले का क्षेत्र बढ़ेगा….14 करोड़ लोग आने की संभावना पेयजल और सिवरेज की व्यवस्था पर जोर…नर्मदा परियोजना का अमला उज्जैन शिप्ट होगा सिंहस्थ के कामकाज शुरू करने के लिए भर्ती करने पर भी विचार
दैनिक अवन्तिका
उज्जैन। आगामी सिंहस्थ की तैयारियों के लिए जहां सूबे के सीएम डॉ. मोहन यादव चिंता में है वहीं वे स्वयं भी इसके चलते प्लानिंग ही नहीं बल्कि संबंधित प्रशासनिक कार्यों को भी निरंतर कर रहे है। इधर जानकारी यह मिली है कि सिंहस्थ में आने वाले लोगों के लिए पेयजल और सिवरेज की व्यवस्था पर भी सीएम डॉ. यादव द्वारा जोर दिया जा रहा है और इसके चलते ही नर्मदा परियोजना का अमला भी भोपाल से उज्जैन शिफ्ट करने की तैयारी है।
इधर यह भी जानकारी मिली है कि सिंहस्थ का जमीनी काम काज शुरू करने के लिए सिंहस्थ मेला कार्यालय में अस्थाई तौर पर भर्ती करने पर भी विचार किया जा रहा है वहीं सिंहस्थ का मेला क्षेत्र बढ़ाने पर भी चर्चा भोपाल में हो रही है। बता दें कि इसके पहले सीएम यादव ने धर्मस्व विभाग को उज्जैन शिफ्ट करने का फैसला लिया था। गौरतलब है कि बीते सिंहस्थ 2016 में करीब सात करोड़ लोग आए थे और अब आने वाले 2028 के सिंहस्थ में इसके दुगने अर्थात 14 करोड़ लोगों के आने का अनुमान लगाया जा रहा है।सबसे ज्यादा सीवरेज और पेयजल की परेशानीबीते सिंहस्थ की यदि बात करें तो भले ही मेला क्षेत्र में तत्कालीन शासन और प्रशासन ने पेयजल के साथ ही सिवरेज की भी बेहतर व्यवस्था करने का दावा किया था लेकिन यर्थाथ में स्थिति कुछ ओर ही नजर आई थी। सिंहस्थ मेला क्षेत्र के कई इलाकों में पानी की किल्लत का सामना लोगों को करना पड़ा था वहीं साधु संतों के पड़ाव स्थलों पर भी सिवरेज की समस्या सामने आई थी और इस कारण गंदा पानी सड़कों पर बहता रहा था। संभवतः यही कारण है कि सूबे की मोहन सरकार इस आने वाले सिंहस्थ में पेयजल और सीवरेज की व्यवस्था पर भी ज्यादा जोर दे रही है। लिहाजा भोपाल से नर्मदा परियोजना का अमला उज्जैन में शिफ्ट करने की तैयारी है। मालूम हो कि स्थानीय अधिकारियों ने सिंहस्थ- 2028 के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की योजना बना रखी है, जिसमें 1148 करोड़ रुपये की योजना पेयजल एवं सीवरेज इंतजाम पर खर्च किए जाने का लेख है। इस राशि में 948 करोड़ रुपये मेला क्षेत्र में जल प्रदाय एवं सीवरेज पाइपलाइन बिछाने, उच्च स्तरीय पानी की टंकियां, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने, पंपिंग मैन स्टेशन स्थापित करना प्रस्तावित है। 2016 के सिंहस्थ में सात करोड़ लोग उज्जैन आए थे। तब मेला 3062 हेक्टेयर जमीन पर लगा था। इस बार 14 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है। उज्जैन मास्टर प्लान- 2035 के प्रारूप में वर्ष 2016 में अधिसूचित सिंहस्थ क्षेत्र (3062 हेक्टेयर जमीन) 42 प्रतिशत बढ़ाने की संभावना व्यक्त की गई है। इसके अनुरूप सरकार सिंहस्थ क्षेत्र बढ़ाने पर विचार भी कर रही है। पानी पिलाने को 200 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने, क्वालिटी कंट्रोल और सुपरविजन के लिए के लिए अनुभवी सेवानिवृत्त इंजीनियरों की नियुक्ति करना, निगरानी के लिए कम्प्यूटर एवं सेंसर आधारित स्काडा प्रणाली लागू करने की योजना भी प्रस्तावित है।नौ दिन चले अढ़ाई कोस…..फिर पुरानी स्थिति में लौटने लगे तालाब और बावड़ियांअतिक्रमण भी पसराउज्जैन। सूबे के सीएम डॉ. मोहन यादव ने भले ही नमामि गंगे अभियान चलाया हो औरइसके तह उज्जैन में भी तालाबों और बावड़ियों की सफाई के साथ ही गहरीकरण आदिकरने के साथ ही पौधारोपण भी किया गया था लेकिन गंगा दशहरा के दिन इस का समापन होने के बाद ही ये बावड़ियां और तालाब अपनी पुरानी स्थिति में लौटने
लगे है। जिन तालाबों और बावड़ियों की साफ सफाई की गई वहां न केवल गंदगी होने लगी है वहीं
जिन लोगों ने ’दिखावे के लिए श्रमदान’ किया था उनकी नजर अब इधर जाती भी नहीं है। इसके अलावा कुछ एक स्थान तो ऐसे है जहां अतिक्रमण पसर गया है। बता दें कि अभियान के तहतशहर के सप्त सागरों का सीमांकन जरूरी हैशहर में प्राचीन महत्व के सप्त सागर है। इनमें से कुछ जगह अतिक्रमण है। लिहाजा आवश्यकता इस बात की है कि प्रशासन इन सभी के अभिलेखों का अवलोकन कर सीमांकन करने का कार्य शुरू करें ताकि यदि संबंधित क्षेत्र में अतिक्रमण है तो इन्हें स्थाई रूप से हटाया जा सके। सीमांकन में आने जाने वाले अतिक्रमण को सख्ती से हटाया जाए और सभी साप्तसागरों की बाउंड्री वॉल बनाए जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही सप्त सागरों का गहरीकरण और सौंदर्यीकरण भी किए जाने की जरूरत है। सप्त सागरों के साथ ही अनेक प्राचीन तालाबों का भी गहरीकरण और सौंदर्यीकरण किये जाने की आवश्यकता है। उज्जैन में 13 प्राचीन बावड़ियाँ हैं। सबका अपना-अपना विशिष्ट महत्व है। इसलिए प्रत्येक बावड़ी की मरम्मत, गहरीकरण, साफ-सफाई, सौन्दर्यीकरण, सीमांकन और बाउंड्रीवॉल बनाए जाने की आवश्यकता है। इससे सभी प्राचीन बावड़ियाँ सुरक्षित हो सकेगी और आगे आने वाली पीढ़ी इसे देख सकेगी। यह भावी पीढ़ियों के लिए विरासत है।