नौ दिन चले अढ़ाई कोस….. फिर पुरानी स्थिति में लौटने लगे तालाब और बावड़ियां अतिक्रमण भी पसरा
लगे है। जिन तालाबों और बावड़ियों की साफ सफाई की गई वहां न केवल गंदगी होने लगी है वहीं जिन लोगों ने ’दिखावे के लिए श्रमदान’ किया था उनकी नजर अब इधर जाती भी नहीं है। इसके अलावा कुछ एक स्थान तो ऐसे है जहां अतिक्रमण पसर गया है। बता दें कि अभियान के तहत
शहर में प्राचीन महत्व के सप्त सागर है। इनमें से कुछ जगह अतिक्रमण है। लिहाजा आवश्यकता इस बात की है कि प्रशासन इन सभी के अभिलेखों का अवलोकन कर सीमांकन करने का कार्य शुरू करें ताकि यदि संबंधित क्षेत्र में अतिक्रमण है तो इन्हें स्थाई रूप से हटाया जा सके। सीमांकन में आने जाने वाले अतिक्रमण को सख्ती से हटाया जाए और सभी साप्तसागरों की बाउंड्री वॉल बनाए जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही सप्त सागरों का गहरीकरण और सौंदर्यीकरण भी किए जाने की जरूरत है। सप्त सागरों के साथ ही अनेक प्राचीन तालाबों का भी गहरीकरण और सौंदर्यीकरण किये जाने की आवश्यकता है। उज्जैन में 13 प्राचीन बावड़ियाँ हैं। सबका अपना-अपना विशिष्ट महत्व है। इसलिए प्रत्येक बावड़ी की मरम्मत, गहरीकरण, साफ-सफाई, सौन्दर्यीकरण, सीमांकन और बाउंड्रीवॉल बनाए जाने की आवश्यकता है। इससे सभी प्राचीन बावड़ियाँ सुरक्षित हो सकेगी और आगे आने वाली पीढ़ी इसे देख सकेगी। यह भावी पीढ़ियों के लिए विरासत है।